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MLC चुनाव के लिए दो सीटों पर सपा का दांव, अहमद हसन-राजेंद्र चौधरी को बनाया प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से पूर्व मंत्री अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है.

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 12 विधान परिषद सीटों के लिए हो रहा है चुनाव
  • BJP की 10 सीटों और सपा की एक पर जीत पक्की

उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से पूर्व मंत्री अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है. सीटों के लिहाज से सपा के खाते में एक सीट आराम से आ जाएगी, लेकिन दूसरी सीट के लिए उसे मशक्कत करनी पड़ सकती है.

उधर, बीएसपी ने भी दो विधान परिषद के फार्म खरीदे हैं. ऐसे में एक सीट के लिए सपा और बसपा में अच्छी खींचतान देखने को मिलेगी. बीजेपी 10 सीटें जीतने की स्थिति में है इसलिए उसने सिर्फ 10 फार्म ही खरीदे हैं यानी 12 में से 11 सीटों में कोई मुकाबला नहीं होगा जबकि एक सीट पर सपा और बसपा आमने-सामने हो सकती है.

क्या है अंकगणित
यूपी के विधानसभा में फिलहाल बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल को मिला कर 319 विधायक हैं. सपा के 48 सदस्य हैं. बसपा के 18 सदस्यों में से पांच ने बीते नवंबर में हुए राज्यसभा चुनाव के बाद पार्टी से बगावत कर दी थी. बसपा ने अपने बागी नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर रखी है जबकि रामवीर उपाध्याय को पार्टी ने सदस्यता से निलंबित कर रखा है. 

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इस लिहाज से पार्टी सदस्यों की संख्या 10 के करीब मानी जा रही है. वहीं, कांग्रेस के सात विधायकों में से दो बागी रुख अपनाए हुए हैं, जिसके चलते पांच ही विधायक पार्टी के साथ हैं. अभी 12 सीटों के लिए हो रहे विधान परिषद चुनाव में एक एमएलसी सीट पर जीतने के लिए करीब 32 मतों की जरूरत होगी.

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309 विधायकों के साथ बीजेपी आसानी से 9 सदस्यों को भेज सकती है. इसके बाद भी बीजेपी के पास 21 वोट प्रथम वरियता के आधार पर बचेंगे. ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी अपना दल के 9 विधायकों के समर्थन से 10वीं सीट पर भी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी. सपा के मौजूदा 48 विधायक होने के नाते उसे भी विधान परिषद में एक सीट मिल जाएगी. 

इसके बाद सपा के पास 16 विधायक बचेंगे. अगर बसपा की ओर से भी प्रत्याशी उतारे जाते हैं तो दोनों के बीच टक्कर हो सकती है. हालांकि, सूत्रों की मानें तो सपा ने तय कर लिया है कि वह बसपा के साथ ही दूसरे दलों के कुछ असंतुष्ट विधायकों का समर्थन हासिल अपनी सीट जिता लेगी.

 

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