उत्तर प्रदेश के झांसी में एक शर्मनाक घटना सामने आई है. मरीजों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर यहां कसाई की भूमिका में नजर आ गए और इंतेहा ये हो गई कि मरीज की कटी टांग को उसका तकिया बना दिया.
ये घटना झांसी के लहचूरा थाना क्षेत्र की है. यहां के गांव इटायल से एक स्कूल बस बच्चों को लेकर मऊरानीपुर जा रही थी. तभी रास्ते में ट्रैक्टर को बचाते समय बस अनियंत्रित होकर पलट गई. इस हादसे में बस क्लीनर घनश्याम समेत आधा दर्जन बच्चे घायल हो गए.
बस क्लीनर की हालत नाजुक थी, जिसके चलते उन्हें झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. यहां डॉक्टरों ने उसका उपचार किया, लेकिन वो उसका एक पैर न बचा सके और बायां पैर काटना पड़ा.
यहां तक सब ठीक था. डॉक्टरों ने अपना फर्ज अच्छे से निभाया. मरीज का इलाज किया गया. लेकिन इसके बाद घनश्याम के साथ जो हुआ वो बेहद डरावना है. घनश्याम का जो बायां पैर घायल होने के बाद काटा गया था, उसे ही घनश्याम का तकिया बना दिया गया.
घबरा गए परिजन
घनश्याम के घायल होने की खबर मिलने के बाद जब उनके जीजा जानकी प्रसाद वहां पहुंचे तो यह भयावह तस्वीर देखकर वह घबरा गए. उन्होंने डॉक्टरों से कई बार पैर हटाने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टरों ने एक ना सुनी.
इस पूरी घटना को वहां घूम रहे किसी व्यक्ति ने वीडियो बना लिया. जब मामला मीडिया में आया तो मेडिकल प्रशासन ने जांच के आदेश देकर दो डॉक्टरों और दो नर्सों को निलंबित कर दिया गया है. एक डॉक्टर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.
मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्यसाधना कौशिक ने कहा कि मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी गई है. उन्होंने बताया कि लापरवाही पाते हुए आपातकाल मेडिकल इंचार्ज डॉक्टर महेंद्र पाल, डॉक्टर आलोक अग्रवाल, सिस्टर इंचार्ज दीपा नारंग और शशि श्रीवास्तव को निलंबित किया गया है. जबकि डॉक्टर प्रवीण सरावगी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.