एड्स एक गंभीर बीमारी है, लेकिन ये छूत की बीमारी नहीं है. साथ रहने या साथ खाने से एड्स नहीं होता, फिर भी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में 5 बच्चे इस बीमारी के खौफ के चलते गांव के कब्रिस्तान में रहने को मजबूर हो गए. एड्स से उनके माता-पिता की मौत हुई तो रिश्तेदारों ने उन्हें घर से निकाल दिया.
प्रतापगढ़ के जमुआ गांव में 5 बच्चों का दिन और रात कब्रिस्तान में गुजरता है. इन बच्चों का कसूर सिर्फ इतना है कि इनके माता-पिता को एड्स था. माता-पिता की मौत के बाद रिश्तेदारों ने इन 5 मासूमों को कब्रिस्तान में फेंक दिया. कब्रिस्तान में जिंदगी गुजार रहे इन बच्चों को अगर गांववालों ने खाना दे दिया तो ठीक वरना भूखे पेट ही उन्हें सोना पड़ रहा था.
रिश्तेदारों को डर था कि इन बच्चों से एड्स उनके घर में ना फैल जाए. एड्स का खौफ इतना ज्यादा था कि रिश्तेदारों ने घर से और बाकी लोगों ने गांव से ही बाहर निकाल दिया.
मजबूरी में 7 साल से 17 साल तक के पांचों बच्चे अपने माता-पिता की कब्र के पास टेंट लगाकर रह रहे हैं, हालांकि अभी तक ये पता नहीं चला है कि इन बच्चों को एड्स की बीमारी है या नहीं.
हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद प्रशासन ने इन बच्चों की सुध ली है. आला अधिकारियों ने एसडीएम समेत तमाम अफसरों को इन बच्चों की हर संभव मदद का आदेश दिया है.
प्रतापगढ़ की डीएम विद्या भूषण ने कहा, 'बच्चों के पिता और मां का देहांत हो गया. ऐसी स्थिति में रिश्तेदारों ने भी किनारा कर लिया था. बात मीडिया के द्वारा हमारे संज्ञान में लाई गई है. उसके बाद हमने SDM. सदर को निर्देश दिया, जिसके बाद पारिवारिक लाभ के तहत उनको कुछ धन मुहैया कराया गया है, रहने के लिए आवास के लिए जमीन पट्टा कर दिया गया है, जिस पर वह निर्माण कार्य कर रहे हैं ताकि उनको रहने का आसरा हो जाए. शासन से उनके रहने के लिए और धन मुहैया कराने के लिए लिखा है और उनके पढ़ने लिखने के लिए हम व्यवस्था कर रहे हैं.'
पांच बच्चों में शुमार निसार ने कहा, 'तहसीलदार आए थे. लेखपाल, सेक्रेटरी सड़क के किनारे जमीन इंद्रा आवास देने के लिए कह रहे हैं. खाने के लिए राशन कोटेदार से दिलवाए हैं. पहले से अच्छा महसूस कर रहे हैं.'
प्रशासन ने तो बच्चों को गांव में बसाने का निर्देश दे दिया है और सच्चाई भी ये है कि साथ खाने या रहने से एड्स नहीं फैलता, लेकिन सवाल ये है कि क्या गांव वाले एड्स का खौफ छोड़कर इन बच्चों को मन से अपना पाएंगे.