आखिर कुलदीप सिंह सेंगर से बीजेपी का क्या रिश्ता है? क्या कुलदीप सिंह सेंगर अब भी बीजेपी के सदस्य हैं या फिर बर्खास्त हैं. इस मामले में बीजेपी को जवाब नहीं सूझ रहा. पिछले साल जब उन्नाव की रेप पीड़िता का मामला सामने आया था तब बीजेपी खुलकर तो नहीं बचा रही थी, लेकिन कहीं न कहीं पार्टी कुलदीप सिंह सेंगर को नाराज करना भी नहीं चाहती थी.
यही वजह है कि बीजेपी ने कुलदीप सिंह सेंगर पर तब तक कार्रवाई नहीं की जब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो गई. सीबीआई ने बलात्कार के मामले में अभी चार्जशीट नहीं दायर की है. लेकिन रेप पीड़िता के पिता की हत्या और दूसरे अन्य मामलों में उसने चार्जशीट जरूर दायर कर दी है. इसके बाद बीजेपी ने उनसे अपना औपचारिक रिश्ता तो खत्म कर लिया, लेकिन अनौपचारिक रिश्ता बनाए रखा.
पिछले साल बलात्कार का मामला सामने आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निलंबित करने का बयान तो दे दिया लेकिन निलंबन की ऐसी कोई चिट्ठी सामने नहीं आई. इस बीच कुलदीप सिंह सेंगर से चुनाव के दौरान नेता समर्थन लेते रहे, उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज उनसे जेल में मिलते रहे.
लखनऊ में बीजेपी नेताओं को यह याद नहीं है कि कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार मामले में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें कब पार्टी से निलंबित किया गया था, लेकिन प्रवक्ता से लेकर अध्यक्ष तक आज भी सिर्फ उन्हें पार्टी से निलंबन की बात ही दोहरा रहे हैं लेकिन उनके निलंबन की चिट्ठी किसी ने नहीं देखी.
इतना बड़ा आरोप लगने के बाद भी बीजेपी उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने की बात से आज भी नहीं कर रही. पार्टी के कायदे-कानून के मुताबिक निलंबित नेता के आवेदन को अनुशासन समिति में भेजा जाता है और उसके बाद निलंबन की पूरी कार्यवाही होती है. लेकिन कुलदीप सेंगर के मामले में अनुशासन समिति ने क्या किया, किसी को नहीं मालूम.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अनुशासन समिति ने आखिरी फैसला इसलिए नहीं लिया क्योंकि निलंबित सदस्य को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है. इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर लगातार जेल में बंद हैं और वह अनुशासन समिति के सामने पेश नहीं हो पाए. इसलिए अनुशासन समिति में उनके मामले की सुनवाई नहीं हो पाई.
ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें मौखिक तौर पर ही निलंबित कर रखा है. इसकी कोई कागजी प्रक्रिया पार्टी में दिखाई नहीं दे रही. लेकिन सवाल यह है कि इतने आरोपों के बाद भी आखिर पार्टी कुलदीप सेंगर को पार्टी से निष्कासित करने या बर्खास्त करने की बात क्यों नहीं कर रही. प्रवक्ता से लेकर अध्यक्ष तक किसी के पास इसका जवाब नहीं है. सच्चाई ये है कि विधायक का अपना रसूख है और उन्नाव जैसे इलाके में उनकी राजनीति की बदौलत लोग जीतते और हारते हैं.