भूख और बेरोजगारी के आगे डिग्री, पद, प्रतिष्ठा कुछ मायने नहीं रखता. उत्तरप्रदेश ने अलग-अलग नगर निगमों में सफाईकर्मियों की भर्ती के निकली वेकैंसी ने सरकार के शिक्षा और रोजगार के दावों की चूल हिला दी है.
सफाईकर्मी पोस्ट के लिए आवेदकों की भीड़
उत्तर प्रदेश के शहर दर शहर पोस्ट ऑफिस के बाहर बस एक ही दृश्य है. आवेदन फॉर्म जमा करने की लंबी-लंबी कतारें लगी दिखीं. इन कतारों में सबसे ज्यादा भीड़ उन लोगों की है जिन्होंने
अपनी पढाई कम से कम इस पद के लिए यानी सडकों पर झाड़ू लगाने और नाले साफ करने के लिए तो नहीं ही की थी.
इन कतारों में कोई ग्रेजुएट है तो कोई पोस्ट ग्रेजुएट, कोई आईटीआई का डिप्लोमा है. किसी ने संगीत में डिप्लोमा ले रखी है, लेकिन यहां सब खड़े हैं. वजह पूरे यूपी में अलग-अलग नगर निगमों के सफाईकर्मी के 40 हजार पोस्ट की भर्तियां निकली हैं.
हेड पोस्ट ऑफिस में जुटी युवाओं की भीड़
कानपुर के हेड पोस्ट ऑफिस में जुटी भीड़ इस बात की गवाह है कि कैसे शिक्षा पर बेरोजगारी भारी पर रही है. पूरे प्रदेश में नगर निगम के स्वीपर पोस्ट के लिए फार्म भरने वालों में ग्रेजुएट,
पोस्ट ग्रेजुएट टेक्निकल डिप्लोमा यहां तक की यूपीपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र भी कतार में हैं.
संगीत की शिक्षा लेकर स्वीपर पोस्ट के लिए आवेदन
कानपुर के अजय ने संगीत में डिप्लोमा किया है. स्टेज शो करते हैं. राज्य भर में घूम-घूम कर संगीतमय जागरण में तबला और नाल बजाते हैं. घर में छात्रों को संगीत की शिक्षा देते हैं, लेकिन
बेरोजगारी और सरकारी नौकरी की ललक ने बढ़ती उम्र भी इस पद के आवेदन को मजबूर कर दिया है.
घर का चूल्हा जलाना बड़ी मजबूरी
अजय कहते हैं कि इस संगीत का क्या करूं, जिसकी वजह से कोई नौकरी नहीं मिली. अब सफाईकर्मी के इस पद के लिए आवेदन किया है. अगर मिल गई तो सड़क पर झाड़ू लगाऊंगा. कम
से कम महीने की पगार तो आएगी. घर का चूल्हा तो जलेगा.
पूर्वी यूपी के कई जिलों में है यही हाल
सिर्फ कानपुर ही क्यों? भदोही, अमरोहा, मिर्जापुर, इलाहाबाद सभी जगहों पर पढ़े-लिखे लड़के-लड़कियां लाइन में खड़े हैं . भदोही में तो कई ऐसे लड़के मिले जो सिविल सेवा की तैयारियों में जुटे
हैं, लेकिन यहां भी किस्मत आजमा रहे हैं.