
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर को लंबी दाढ़ी रखने की वजह से सस्पेंड कर दिया गया है. जब ये खबर आई तो लोगों ने इसे धार्मिक एंगल देने की भी कोशिश की. लेकिन सच्चाई इससे कहीं परे है. पुलिस सब-इंस्पेक्टर पर यह विभागीय कार्रवाई पुलिस मैनुअल के तहत ही की गई थी.
आपको बता दें कि ये पूरा मामला बागपत के रमाला थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर इंतेशार अली और उनकी लंबी दाढ़ी से जुड़ा है. बागपत के पुलिस अधीक्षक ने सब-इंस्पेक्टर को तीन बार दाढ़ी कटवाने की चेतावनी दी थी लेकिन इसके बावजूद भी वो बड़ी दाढ़ी में ही ड्यूटी करते रहे. इसी वजह से बागपत के एसपी ने उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर पुलिस लाइन भेज दिया.
क्या कहता है पुलिस मैनुअल
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस मैनुअल और नियमों के अनुसार सिखों को छोड़कर किसी को भी वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बिना दाढ़ी रखने की इजाजत नहीं है. पुलिस विभाग के कर्मचारी बिना अनुमति मूंछें तो रख सकते हैं लेकिन दाढ़ी नहीं रख सकते हैं. केवल सिख समुदाय बिना इजाजत दाढ़ी रख सकता है, वहीं अगर सिख धर्म के अलावा किसी दूसरे धर्म को मानने वाला ऐसा करता है तो उसे डिपार्टमेंट से इजाजत लेनी होती है.

उत्तर प्रदेश पुलिस नियमावली में 10 अक्टूबर 1985 को एक सर्कुलर जोड़ा गया, जिसके अनुसार मुस्लिम कर्मचारी एसपी से इजाजत लेकर दाढ़ी रख सकते हैं. हालांकि यूपी पुलिस के 1987 के सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि पुलिस वालों के लिए धार्मिक पहचान रखने की मनाही है.
सब-इंस्पेक्टर ने नवंबर 2019 में लिखी थी चिट्ठी
सब-इंस्पेक्टर इंतेशार अली को पुलिस मैनुअल के मानदंडों के उल्लंघन के आरोप में सस्पेंड किया गया है. कप्तान ने उनकी हरकतों को अनुशासनहीनता के दायरे में बताया है. दरअसल बागपत एसपी ने तीन बार सब-इंस्पेक्टर इंतेशार अली को दाढ़ी कटवाने या फिर तुरंत बड़े अधिकारियों से अनुमति लेने की हिदायत दी थी. लगातार चेतावनी मिलने पर भी इंतेशार अली ने नवंबर 2019 में आईजी मेरठ से अनुमति मांगी थी.
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अपनी चिट्ठी में इंतेशार ने धार्मिक आस्था के मुताबिक धार्मिक पहचान वाली दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी थी. ये चिट्ठी 27-नवंबर 2019 को लिखी गई थी. लेकिन एक साल बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया. अब बागपत के एसपी ने सर्विस रूल्स का हवाला देते हुए सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया तो मामले ने तूल पकड़ लिया है.
दारुल उलूम देवबंद ने भी जताई आपत्ति
एसपी की इस कार्रवाई के बाद इस पूरे मामले को धार्मिक एंगल से देखा जा रहा है. इसे लेकर सियासी बवाल मच गया है. दारुल उलूम देवबंद ने इस कार्रवाई को गलत बताया है. दारुल उलूम ने इसे एकतरफा कार्रवाई कहा है और ये भी कहा है कि ऐसी कार्रवाई से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं.
दारुल उलूम देवबंद ने दाढ़ी रखने पर निलंबित करने वाले एक्शन को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है. दारुल उलूम देवबंद ने अपनी आपत्ति में कहा है कि इंतेशार अली को सस्पेंड करना गलत है. मजहब के हिसाब से दाढ़ी रखी हुई थी ये गलत कैसे है. एसपी बागपत को तुरंत पद से हटाना चाहिए. इसके साथ ही मौलाना लुत्फुर रहमान सादीक कासमी ने मुख्यमंत्री से मामले में दखल देने की मांग भी की है.
बागपत एसपी ने रखा अपना पक्ष
इस बारे में बागपत एसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि इंतेशार अली विभाग की अनुमति के बिना दाढ़ी रख रहे थे. कई बार उन्हें दाढ़ी कटवाने की हिदायत दी. इसके बावजूद इंस्पेक्टर उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे थे. इसलिए उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है.
एसपी अभिषेक सिंह ने कहा कि पुलिस मैनुअल के मुताबिक सिर्फ सिखों को दाढ़ी रखने की अनुमति है, जबकि अन्य सभी पुलिसकर्मियों को अपने चेहरे क्लीन शेव रखने होते हैं. एसपी ने कहा, "यदि कोई पुलिसकर्मी दाढ़ी रखना चाहता है, तो उसे उसकी अनुमति लेनी होगी. इंतेशार अली से बार-बार अनुमति लेने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया और बिना अनुमति के दाढ़ी रख ली."
बता दें कि इंतेशार अली पुलिस बल में सब-इंस्पेक्टर के रूप में शामिल हुए थे और पिछले तीन सालों से बागपत में तैनात थे. अली ने इस मुद्दे पर कहा कि उन्होंने दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.