दंगों के बाद मुजफ्फरनगर-शामली में पहली बार जाट और मुसलमानों का भाईचारा टूटा और इसकी आंच बागपत और मेरठ तक पहुंची. सपा लंबे समय से इस कोशिश में है कि वेस्ट यूपी में कैसे दंगे का दाग धोया जाए. इसके लिए राहत पैकेज का ऐलान भी किया गया. अब राजनीतिक नुमाइंदगी के तौर पर जाट-मुस्लिम संतुलन साधने की कोशिश की गई है.
अखिलेश यादव सरकार ने जिन चार नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, उनमें दो मुस्लिम रफीक अंसारी व मो. अब्बास मेरठ और जाट बिरादरी से जुड़े कुलदीप उज्ज्वल बागपत जिले से हैं, चौथे करहल, मैनपुरी के सुभाष चंद यादव हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये नियुक्तियां पश्चिमी यूपी में राजनीतिक संतुलन साधने के नजरिए से की गई हैं. दंगे को लेकर विवादों के घेरे में आए नेताओं के बजाय सपा ने पुराने कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया है.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सपा युवजन सभा के राष्ट्रीय सचिव रहे कुलदीप उज्ज्वल को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर का अध्यक्ष बनाया गया है. यह पद पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामआसरे कुशवाहा के पास था. विवादित बयानों के चलते पिछले दिनों उन्हें पद से हटा दिया गया था. उज्ज्वल को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है.
रफीक अंसारी को पर्यटन निगम में सलाहकार बनाया गया है. उन्हें भी राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है. रफीक अंसारी सपा के पुराने नेता हैं. वह मेरठ शहर सीट से पिछला विधानसभा चुनाव लडक़र दूसरे स्थान पर रहे थे. रफीक मेरठ नगर निगम के पिछले चुनाव में मेयर पद के प्रत्याशी थे और दूसरे स्थान पर रहे थे. वह तीन बार नगर निगम के पार्षद रह चुके हैं. नगर निगम के तीन बार पार्षद रहे मो. अब्बास सपा के प्रदेश सचिव भी हैं. उन्हें श्रम विभाग में सलाहकार बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है. अब्बास भी सपा के पुराने नेता हैं.
करहल, मैनपुरी के वरिष्ठ सपा नेता सुभाष चंद यादव को भी लालबत्ती दी गई है. उन्हें ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का सलाहकार बनाकर राज्यमंत्री के ओहदे से नवाजा गया है. वह विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं.