देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पहचान रखने वाली वाराणसी नगरी का ज्ञानवापी विवाद चर्चा में है. श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर इस विवाद की शुरुआत हुई थी. श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा के अधिकार की मांग को लेकर याचिका दायर हुई है. अभी की बात करें तो श्रृंगार गौरी की पूजा पूरे साल में केवल एक दिन होती है.
हिंदी कैलेंडर के मुताबिक चैत्र के महीने में पड़ने वाली नवरात्रि के चौथे दिन श्रृंगार गौरी की पूजा होती है. इस साल भी ये पूजा हुई थी जिसका वीडियो अब सामने आया है. इस वीडियो में ये नजर आ रहा है कि माता श्रृंगार गौरी की पूजा से पहले चबूतरे की साफ-सफाई की जा रही है और इसके बाद पूजा-पाठ शुरू होता है.
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श्रृंगार गौरी की पूजा करने वाले व्यास परिवार के जितेंद्र नाथ व्यास ने बताया कि पूजा के पहले माता श्रृंगार गौरी के मंडप के इस चबूतरे कि साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद चबूतरे को सिंदूर से रंगा जाता है. उन्होंने बताया कि इसके बाद मां श्रृंगार गौरी का एक मुखौटा लगाया जाता है. ये मुखौटा जहां लगाया जाता है, पत्थरों के बीच की वो जगह श्रृंगार गौरी की बताई जाती है. मुखौटा लगाने के बाद पूजा-पाठ शुरू होता है.
जितेंद्र नाथ व्यास के मुताबिक ये पूजा व्यास परिवार करता है. कुछ श्रद्धालु भी इसमें शामिल होते हैं. गौरतलब है कि श्रृंगार गौरी का ये चबूतरा ज्ञानवापी परिसर की बैरिकेडिंग की ओर है. विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के गेट नंबर 4 से मंदिर की तरफ बढ़ने पर ज्ञानवापी परिसर कि बैरिकेडिंग दिखती है.
इस बैरिकेडिंग के भीतर ज्ञानवापी मस्जिद की वही पश्चिमी दीवार है जिस पर मंदिर के विध्वंस के निशान होने का दावा किया जाता रहा है. उसी पश्चिमी दीवार के करीब लोहे की बैरिकेडिंग के बाहर रास्ते पर ही माता शृंगार गौरी का यह चबूतरा स्थित है जहां पूजा होती है.