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गाजियाबाद: संक्रमित पति-पत्नी की थी मैरिज एनिवर्सरी, अस्पताल के स्टाफ ने ऐसे किया सेलिब्रेट

इंदिरापुरम के शक्ति खण्ड 3 इलाके  में स्थित स्पर्श मेडिकेयर अस्पताल की मैनेजिंग डायरेक्टर संध्या सिन्हा ने बताया कि इंदिरापुरम इलाके में ही रहने वाले 47 वर्षीय गजेंद्र चौधरी और उनकी पत्नी 45 वर्षीय लक्ष्मी देवी दोनों ही कोरोना संक्रमित हो गए थे.

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गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती पति पत्नी की शादी की सालगिरह को सेलिब्रेट किया गया.
गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती पति पत्नी की शादी की सालगिरह को सेलिब्रेट किया गया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संक्रमित पति-पत्नी की थी मैरिज एनिवर्सरी
  • महिला ने जीती कोरोना से जंग, पति का इलाज जारी

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित स्पर्श मेडिकेयर अस्पताल के कोरोना आईसीयू वार्ड से एक दिल जीतने वाली तस्वीर सामने आई है. कोरोना वार्ड में अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ ने मिलकर यहां भर्ती पति पत्नी की शादी की सालगिरह मनाई. इस मौके पर केक भी काटा गया. कोरोना वार्ड के भीतर डॉक्टर्स की इस पहल से पति पत्नी काफी खुश नजर आए.

इंदिरापुरम के शक्ति खण्ड 3 इलाके  में स्थित स्पर्श मेडिकेयर अस्पताल की मैनेजिंग डायरेक्टर संध्या सिन्हा ने बताया कि इंदिरापुरम इलाके में ही रहने वाले 47 वर्षीय गजेंद्र चौधरी और उनकी पत्नी 45 वर्षीय लक्ष्मी देवी दोनों ही कोरोना संक्रमित हो गए थे. इलाज के लिए दोनों 1 मई को अस्पताल में भर्ती हुए थे. उनकी पत्नी स्वस्थ हो चुकी हैं. जबकि गजेंद्र चौधरी का उपचार अभी जारी है. लेकिन उनकी स्थिति में भी सुधार है. उम्मीद है उन्हें भी जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.

हॉस्पिटल प्रशासन को यह जानकारी मिली कि रविवार को गजेंद्र चौधरी और उनकी पत्नी की 21 वीं शादी की सालगिरह है तो उन्होंने केक मंगा कर आईसीयू में ही गजेंद्र चौधरी से केक कटवाया और उनकी एनिवर्सरी को मौजूदा स्टाफ और अन्य 15 मरीजों ने सेलिब्रेट करते हुए उन्हें अपना आशीर्वाद दिया. मरीज गजेंद्र की पत्नी भी यहां इस मौके पर उनके साथ थीं. अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उनकी शादी की सालगिरह मनाए जाने के बाद गजेंद्र चौधरी और उनकी पत्नी भी बेहद भावुक हो गए. इतना ही नहीं उन्हें देखकर स्टाफ के लोग भी भावुक हो गये.

कोरोना को हराने के लिए सबसे ज्यादा हौसला और इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. इलाज के तनाव भरे क्षणों में इस तरह हौसलाअफजाई और अपनापन मिलने के बाद मरीज की इच्छा शक्ति भी बढ़ती है और उसका हौसला भी बढ़ता है और दवा के साथ-साथ यह दोनों बेहद जरूरी है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन की तरफ से उठाया गया यह कदम बेहद सराहनीय है.

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