मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन करीब डेढ़ महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की सबसे ज्यादा नाराजगी भले ही हरियाणा और पंजाब में देखने को मिल रही है, लेकिन यूपी के किसानों में भी गुस्सा कम नहीं है. यही वजह है कि किसान आंदोलन के बीच यूपी की योगी सरकार किसानों को साधने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है.
किसान कल्याण मिशन
किसान सम्मेलनों के जरिए कृषि कानून पर फैले भ्रम को दूर करने के साथ-साथ चौपाल लगाकर किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिनाने के बाद योगी सरकार आज यानी बुधवार को किसान कल्याण मिशन का आगाज करने जा रही है. योगी सरकार इस मिशन के जरिए किसान कल्याण और किसानों की आमदनी दोगुना करने की मुहिम शुरू कर रही है. अगले तीन सप्ताह तक हर बुधवार को विकासखंडों में कार्यक्रम कर किसानों को योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही पात्रों को लाभान्वित भी कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके तहत प्रदेश के प्रत्येक विकास खण्ड पर कृषि और किसान कल्याण पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इसके साथ ही हर जिले से रोल मॉडल के रूप में 100 किसानों का चयन कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
यूपी की सियासत में किसान अहम
उत्तर प्रदेश की सियासत में किसान किंगमेकर की भूमिका में हैं. प्रदेश की करीब 300 विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाके की हैं. खासकर पश्चिम यूपी में तो किसान राजनीति की दशा और दिशा तय करते हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के अंदर गुस्सा बढ़ रहा है और 2022 के विधानसभा चुनाव में अब वक्त ज्यादा नहीं रह गया है, महज सवा साल ही बाकी है. विपक्ष किसानों के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने में जुटा है. पंचायत चुनाव सिर पर है, ऐसे में किसान आंदोलन की नाराजगी एक बड़ी चुनौती बन सकती है. यही वजह है कि योगी सरकार किसानों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए उनके पक्ष में खड़ी है.
कृषि प्रधान उत्तर प्रदेश
कृषि प्रधान उत्तर प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत वोटर किसान, मजदूर वर्ग ही है. अस्सी व नब्बे के दशक में जरूर टिकैत की भाकियू का प्रभाव बने रहने से किसान अपनी ताकत के आगे बड़े नेताओं को झुकने के लिए मजबूर करते रहे थे. भाकियू मुख्यालय मुजफ्फनगर जिले के सिसौली में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को भी दस्तक देनी पड़ती थी. किसान आंदोलन के शुरू होते ही सूबे की योगी सरकार किसानों में साधने की कवायद लगातार कर रही है. भारत बंद के दौरान पुलिस को सख्ती नहीं बरतने का आदेश दिया था.
किसानों की आमदनी दोगुना का लक्ष्य
साल 2022 तक देश के किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुना करने पर मोदी सरकार फोकस कर रही है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हुई हैं. इनमें पीएम-किसान सम्मान निधि योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल, किसानों को जीरो ब्याज पर कर्ज मुहैया कराना, किसान क्रेडिट कार्ड समेत तमाम योजनाएं शामिल हैं. इन्हीं योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार ने किसान कल्याण मिशन शुरू कर रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के किसानों की आमदनी को हरहाल में अगले दो सालों में दोगुना किया जाएगा. इसके लिए हम हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.
बीजेपी का किसान सम्मेलन
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच बीजेपी ने किसान सम्मेलन सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में किए गए. सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर यूपी सरकार के तमाम मंत्रियों और नेताओं ने खुद किसानों के बीच जाकर कृषि कानूनों के भ्रम के दूर करने के साथ-साथ उसके फायदे गिनाए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली, मेरठ और गोंडा सहित यूपी के तमाम जगहों को किसान सम्मेलन में पहुंचकर किसानों को समझाने की कोशिश की. इतना ही किसानों को समझाने के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री के तौर पर स्मृति ईरानी, संजीव बालियान और कृष्णपाल गुर्जर जैसे तमाम नेताओं ने भी किसान सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इसके अलावा गांव-गांव किसान चौपाल भी लगाई गई.
गन्ना किसानों का भुगतान
देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है. देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसद और उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 43 फीसद उत्तर प्रदेश में होता है. ऐसे गन्ना किसान सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा को प्रभावित करते हैं. योगी सरकार ने सत्ता में आते ही गन्ना किसानों पर खास मेहरबान रही है. पिछले साढ़े तीन वर्ष में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों का एक लाख 12,829 करोड़ रुपए का गन्ना भुगतान किया है. यह भुगतान आजादी के बाद से 70 वर्ष बाद अब तक का सर्वाधिक भुगतान है. किसान आंदोलन के बीच यूपी के गन्ना के मूल्य बढ़ाने के लिए गन्ना आयुक्त और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हो चुकी है. माना जा रहा है कि सरकार इसे पर जल्द ही बड़ा फैसला लेगी.
पूरब से पश्चिम और बुंदेलखंड में हर खेत को पानी
योगी सरकार ने दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को इस साल हार हाल में पूरा करने का आदेश दिया. इसमें सरयू नहर,अर्जुन सहायक और मध्य गंगा नहर परियोजनाएं शामिल हैं. इसके जरिए पूरब से पश्चिम और बुंदेलखंड की बीस लाख से हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई हो सकेगी. उप्र वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग और बुंदेलखंड को फोकस करती भावनी बांध रसिन, लखेरी एवं बंडई बांध आदि परियोजनाएं शामिल हैं. बुंदेलखंड में अपेक्षाकृत कम बारिश होती है. ऐसे बुंदेलखंड में सिंचन क्षमता के विस्तार और वर्षा जल के संचयन पर सरकार का खासा जोर दिया है. बुंदेलखंड के महोबा, हमीरपुर और बांदा के करीब 45000 हेक्टेयर खेतों को सिंचित करने वाले अर्जुन सहायक नहर को भी इसी साल पूरी हो जाएगी. इससे करीब तीन दर्जन जिलों के 50 लाख किसानों को फायदा होगा.
किसान सम्मान निधी का फायदा
पीएम किसान सम्मान निधी का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. किसान सम्मान निधि का अब तक दो-दो हजार की 6 किश्तों में 22594.78 में करोड़ रुपये राज्य के 2.35 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं. पीएम मोदी ने 25 दिसंबर को देश के 6 राज्यों के किसानों को संबोधित किया तो सबसे ज्यादा किसान उत्तर प्रदेश से शामिल हुए थे. पीएम ने इस दौरान किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा उठाए कदम और उनसे कैसे लाभ मिला, इसके अनुभव भी साझा किया.
किसान सशक्तिकरण
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसान सशक्तिकरण अभियान को मजबूत बनाने की दिशा में एक नीति की घोषणा की है जिसमें सरकार ने एफपीओ / एफपीसी की समस्याओं के निराकरण के लिए एक डेडिकेटेड (समर्पित) इकाई बनाई है. इससे सरकार एक साथ सभी केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित योजनाओं की सुविधा प्रदान करेगी और इन निकायों की सभी जरूरी पूंजी आवश्यकताओं को भी पूरा करेगी. बाधा मुक्त बाजार और एफपीओ आधारित उत्पाद एकत्रीकरण एकीकृत कोल्ड चेन और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए एक प्रेरक का कार्य करेगा. कृषि-निर्यात नीति के कार्यान्वयन से पहचान किए गए समूहों में लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे वैश्विक बाजारों के साथ जुड़ाव होगा.