यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय की नियुक्ति को अवैध घोषित करते हुए पद से हटाने का आदेश दिया है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है.
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अध्यक्ष की नियुक्ति में सरकार ने एक तरफ जहां नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं किया वहीं दूसरी तरफ अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय इस पद के लिए जरूरी योग्यताएं ही नहीं रखते.
कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- पद पर बने रहने के लायक नहीं
याचिकाकर्ता के वकील आलोक गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय सचिव रैंक के डीएम पद की योग्यता नहीं रखते जिसके चलते वह इस पद पर तैनात रहने के हकदार नहीं हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार ने अध्यक्ष की नियुक्ति में नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
आयोग के वर्तमान अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय डीएम के पद से जून 2015 में सीतापुर से रिटायर हुए थे. उन्हें यूपी सरकार ने जुलाई 2015 को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था. आयोग के गठन के नियमों की धारा 2 (A-G) में यह स्पष्ट है कि जो आईएएस सचिव के पद पर तैनात हो चुका हो या फिर कमिश्नर रह चुका हो वही अध्यक्ष बन सकता है. लाल बिहारी पांडेय में यह योग्यता नहीं थी वह केवल डीएम रहे हैं.
पहले भी हटाए गए थे तीन सदस्य
इसके पहले 7 सितम्बर को इसी आयोग के तीन सदस्यों रुदल यादव, रामवीर सिंह यादव और अमित कुमार सिंह पर ऐसे ही आरोप लगे और हाईकोर्ट ने तीनों को अयोग्य मानते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने के आदेश दिए थे.