उत्तर प्रदेश के शामली जिले से एक शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पर एक महिला के शव को नगरपालिका द्वारा कूड़ा गाड़ी में रखकर श्मशान घाट ले जाया गया. बताया जा रहा है कि महिला की मौत मौत कोविड से नहीं हुई थी. वो लंबे समय से बीमार चल रही थी. मृतक महिला के परिवार ने आस-पड़ोस के लोगों से अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी ने लेकिन कोई भी आगे नहीं आया. कोरोना की दहशत की वजह से उन्हें कंधा देने को चार लोग भी नहीं मिले.
यह मामला शामली जिले के जलालाबाद कस्बे का है, यहां पर एक बंगाली परिवार पिछले कई दशक से रह रहा है. इस कस्बे में डॉक्टर प्रवास नाम के एक बंगाली होम्योपैथिक डॉक्टर रहते हैं. पिछले कई महीनों से उनकी बहन लंबे समय से बीमार चल रही थी जिसकी शादी भी नहीं हुई थी. भाई अपनी बीमार बहन को इलाज के लिए बंगाल से शामली लेकर आया. लेकिन बीमारी ने बहन को ऐसा जकड़ा कि सोमवार सुबह उसकी मौत हो गई.
बहन की मौत के बाद पीड़ित शख्स ने मोहल्ले वालों से खूब मिन्नतें कीं कि कोई उनकी बहन को कंधा दे दे, वो कोरोना से नहीं मरी है" पर कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. फिर मजबूर भाई ने नगर पालिका से श्मशान घाट तक शव को ले जाने की गुहार लगाई. नगर पालिका ने कूड़े के वाहन में महिला के शव को रखकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक पहुंचाया. लेकिन इस बीच किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.
पीड़ित परिवार ने ऐसा कभी सोचा भी नहीं होगा कि मौत के बाद उनके परिवार के किसी सदस्य का शव ऐसे कूड़े की गाड़ी में रखकर ले जाया जाएगा. महिला की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के डर से मोहल्ले के किसी भी शख्स ने पीड़ित परिवार की मदद नहीं की.
इस घटना के बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. डीएम जसजीत कौर का कहना है कि इस मामले की जांच एसडीएम और सीएमओ को दे दी गई है. महिला की डेथ कोविड से नहीं हुई थी. जांच के बाद दोषी लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. शामली में शव वाहन की व्यवस्था है, ऑक्सीजन की भी कोई कमी नहीं है. जिले में शव वाहन और एंबुलेंस के लिए हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं. जरूरत पड़ने पर उस पर फोन कर सकते हैं.