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'गंभीर चुनौतियों से जूझ रही भारतीय न्याय व्यवस्था, बड़े सुधार की जरूरत', बोले CJI गवई

सीजेआई गवई ने कानूनी पेशे से जुड़ी मानसिक चुनौतियों, अकेलेपन और संरचनात्मक असमानताओं को लेकर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा, 'यह पेशा अक्सर अकेलापन देने वाला और भावनात्मक रूप से थका देने वाला हो सकता है. काम के घंटे लंबे होते हैं. अपेक्षाएं बहुत अधिक होती हैं. आप केवल सफल होने का नहीं, बल्कि सफल दिखने का भी दबाव महसूस करेंगे. कई लोग अपनी परेशानियां छिपाते हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि ऐसा न करें.'

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एक समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है (फाइल फोटो)
एक समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है (फाइल फोटो)

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शनिवार को कहा कि भारतीय न्याय प्रणाली आज बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है और इसमें बड़े पैमाने पर सुधार की सख्त जरूरत है. उन्होंने यह बात हैदराबाद के जस्टिस सिटी स्थित नालसार लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही. मुख्य न्यायाधीश गवई ने छात्रों को सलाह दी कि वे विदेश में स्कॉलरशिप के जरिए उच्च शिक्षा प्राप्त करें, ताकि परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े.

'गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे देश और ज्यूडिशियरी'

उन्होंने कहा, 'हालांकि मैं मानता हूं कि हमारी न्यायिक व्यवस्था को ठीक करने की बहुत जरूरत है, फिर भी मुझे उम्मीद है कि हमारे देशवासी इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आएंगे.' CJI गवई ने यह भी कहा, 'हमारा देश और न्यायिक व्यवस्था दोनों ही गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. मुकदमों में देरी कभी-कभी दशकों तक चलती है. हमने ऐसे भी मामले देखे हैं जहां कोई व्यक्ति वर्षों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हुआ. हमारे बेस्ट टैलेंट्स इन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं.'

'शक्तिशाली नहीं, ईमानदार को मेंटॉर बनाएं'

उन्होंने दीक्षांत समारोह में पास होने वाले छात्रों से आग्रह किया कि वे ऐसे मार्गदर्शक चुनें जिनमें शक्ति नहीं, बल्कि ईमानदारी हो. इस समारोह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और तेलंगाना हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुजॉय पॉल भी उपस्थित रहे.

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'यह पेशा अकेलापन देने वाला'

इस दौरान सीजेआई गवई ने कानूनी पेशे से जुड़ी मानसिक चुनौतियों, अकेलेपन और संरचनात्मक असमानताओं को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने कहा, 'यह पेशा अक्सर अकेलापन देने वाला और भावनात्मक रूप से थका देने वाला हो सकता है. काम के घंटे लंबे होते हैं. अपेक्षाएं बहुत अधिक होती हैं. आप केवल सफल होने का नहीं, बल्कि सफल दिखने का भी दबाव महसूस करेंगे. कई लोग अपनी परेशानियां छिपाते हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि ऐसा न करें.'

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