अगर आपको पता चले कि जो टीचर आपके बच्चे को पढ़ा रहा है, खुद उसे, उसके अपने ही विषय़ में ज़ीरो नंबर मिला था तो आपको कैसा लगेगा? और अगर आपसे कोई ये कहे कि फिजिक्स जैसे जटिल विषय में भी कोई शून्य नंबर पाकर फिजिक्स का ही लेक्चरार बन सकता है तो आप शायद ही यकीन करें. जब हमने देखा कि तमाम लोग सोशल मीडिया पर ठीक ऐसा ही होने का दावा कर रहे हैं तो हमें भी यकीन नहीं हुआ.
सोशल मीडिया पर ये खबर खूब फैली हुई है कि राजस्थान में सविता मीणा नाम की एक लड़की फिजिक्स में तीन सौ में से 0.68 नंबर, यानि एक से भी कम नंबर लाकर लेक्चरार बन गयी है. यही नहीं, इन खबरों के मुताबिक, सविता सिर्फ फिजिक्स में ही शून्य नंबर नहीं लायी थी, बल्कि जनरल स्टडीज में भी उसे कुल सोलह नंबर आए थे. लोग न सिर्फ इस खबर को खूब शेयर कर रहे हैं, बल्कि इसपर चटखारे भी ले रहे हैं. जैसे किसी ने लिखा -

" बहिन savita meena को लेक्चरार बनने पर हार्दिक शुभकामनाएं !!
राजस्थान में PHYSICS के पेपर में 300 में से शून्य (.68) अंक लाने वाली बनी PHYSICS की LECTURER.
हम इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
देश आगे बढ़ रहा है ,देश का भविष्य योग्यताधारियों के हाथ मे है । जल्द ही हम सब इनके बलबूते पर विश्व गुरु बन जाएंगे।"
Whatsapp पर इस खबर के साथ एक एक फोटो भी शेयर की जा रही है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये सुनिता का रिजल्ट है जिसके दम पर वह स्कूल में लेक्चरार बनी है. इस खबर का वायरल टेस्ट करने के लिए हमने सबसे पहले इस रिजल्ट की सच्चाई का पता लगाया. रिजल्ट का जो फोटो खूब शेयर किया जा रहा है उसी में rpsc.rajaasthan लिखा दिख रहा है. यानी दावे के मुताबिक ये रिजल्ट Rajasthan Public Service Commission (राजस्थान लोक सेवा आयोग) का था. इसी फोटो में सविता के नाम से साथ ही रोल नंबर और जन्म की तारीख भी लिखी है.

राजस्थान लोक सेवा आयोग की वेबसाइट rpsc.rajasthan.gov.in पर जाकर जब हमने सविता मीणा के नाम के साथ जानकारी डाली तो चौंक गए.
वेबसाइट साफ बता रही थी कि सविता को फिजिक्स में 0.68 और जनरल एवेयरनेस और स्टडीज में 15.79 नंबर मिले हैं. साथ में ये भी लिखा था कि सविता का मेरिट के आधार पर चुनाव हो गया है. रिजल्ट 18 सितम्बर 2016 को आया था. लेकिन हमें अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि शून्य नंबर हासिल करके भी कोई स्कूल में लेक्चरार ( स्कूल शिक्षक) बन सकता है. हमने और जानकारी के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर में संपर्क किया. आयोग के मेम्बर शिव सिंह राठौर ने हमें बताया कि ऐसा सचमुच हुआ है. शिव सिंह राठौर ने हमें इसकी वजह भी बतायी.
"कमीशन का काम परीक्षा का आयोजन करना और परीक्षा लेना और जितने अंक आए उसके आधार पर परिणाम बनाकर सरकार को भेजना है. जहां पर मिनिमम अंक डिफाइन नहीं है, नियम के अंदर इस तरह का उल्लेख नहीं है, तो कमीशन जिस तरह का परिणाम है वैसा परिणाम संबंधित विभाग को भेज देता है."
दरअसल सविता की कहानी वायरल होने से पहले भी राजस्थान में ऐसे वाकये हो चुके हैं जब शून्य ही नहीं, माइनस में नंबर पाने वाले भी स्कूल और कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए चुन लिए गए. और चुनाव किया इसी राजस्थान लोक सेवा आयोग ने.
वजह ये रही कि 2017 में अनीता बारेथ नाम की एक लड़की का सेलेक्शन आयोग ने इसलिए खारिज कर दिया था कि उसे जनरल नॉलेज की परीक्षा में शून्य से भी कम यानी, माइनस में नंबर आए थे. अनीता ने भी स्कूल शिक्षक बनने के लिए लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा दी थी. अनीता रिजेक्ट किए जाने के खिलाफ अदालत चली गई. मामला राजस्थान हाई कोर्ट तक गया और अंत में राजस्थान सरकार मुकदमा हार गई. कोर्ट ने अनीता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सवाल उठाया कि जब लोक सेवा आयोग ने पास होने के लिए कोई न्यूनतम सीमा यानी कोई पास मार्क्स तय ही नहीं किया है तो किसी को फेल कैसे किया जा सकता है?

कोर्ट ने साथ में ये भी कहा था कि सरकार चाहे तो नियमों में बदलाव करके हर विषय में पास होने के लिए कम से कम कितने नंबर चाहिए - ये तय कर सकती है. हाई कोर्ट ने कहा, जब तक नियमों में बदलाव नहीं किया जाता, तब तक किसी को फेल नहीं किया जा सकता. लेकिन हाई कोर्ट में केस हारने के बाद भी राजस्थान सरकार ने नियमों में सुधार नहीं किया.
जिस सविता की खबर वायरल हो रही है उसने अनूसूचित जनजाति कोटे के तहत भर्ती परीक्षा दी थी. इस कोटे के तहत फिजिक्स के शिक्षक के लिए परीक्षा देने वाली सविता अकेली थी. राजस्थान सरकार के नियमों के मुताबिक फेल होने का कोई सवाल ही नहीं था, इसलिए सविता सचमुच फिजिक्स की शिक्षक के लिए चुन ली गई.
इस मामले पर फजीहत होने और सोशल मीडिया पर काफी मजाक उड़ाए जाने की वजह से राजस्थान लोक सेवा आयोग ने हमें ये बताने से इंकार कर दिया कि सविता की पोस्टिंग कहां हुई और वह इस वक्त कहां है. सविता के बारे में ये तो पता चल पाया कि वो कोटा की रहने वाली है लेकिन उनसे हमारा सीधे संपर्क नहीं हो पाया. नाम नहीं छापने की शर्त पर लोकसेवा आयोग के एक अधिकारी ने हमें बताया कि पास मार्क्स के नियमों में बदलाव करने के लिए आयोग ने सरकार को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.