अमूमन शांत रहने वाला लखनऊ, चुनाव के पहले गरमा रहा है. नवाबों के शहर को अमन का शहर कहा जाता है क्योंकि यहां दंगे-फसाद नहीं के बराबर रहे लेकिन चुनाव के पहले यहां भी ध्रुवीकरण की कोशिशें हो रही हैं.
ताजा मामला लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर के विनीत खंड का है जहां एक पार्क में एक धार्मिक आयोजन को लेकर दो समुदायों के बीच न सिर्फ तनाव की नौबत आ गई बल्कि रोके जाने पर पुलिस पर पथराव भी हुआ. मंगलवार रात थाने पर हुए बवाल के बाद इलाके में बड़ी तादाद में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है.
पहले भी दोनों गुटों में हो चुकी है सुलह
उत्तर प्रदेश पहले से ही मुजफ्फरनगर और कैराना का दंश झेल रहा है ऐसे में अखिलेश सरकार को एक भी चूक भारी पड़ सकती है. लखनऊ के पॉश इलाके विनीत खंड का प्रज्ञा पार्क फिलहाल टकराव की वजह बना हुआ है, पिछले कुछ हफ्तों से यहां पार्क में धार्मिक आयोजन को लेकर दो समुदायों में तनाव का माहौल बना हुआ है. एक समुदाय ने इस पार्क में इफ्तार की सामूहिक दावत पर उंगली उठाई तो दूसरे समुदाय ने यहां सुन्दरकाण्ड कथा के आयोजन का विरोध किया. मंगलवार को नौबत पथराव तक आ पहुंची. पहले भी दोनों पक्षो में सुलह हो चुकी है. लेकिन कथा रोके जाने पर मामला फिर भड़क गया था और मौके पर पंहुचे बीजेपी के स्थानीय सभासद को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. बाद में पुलिस ने सभी लोगों को निजी मुचलके पर छोड़ा. बीजेपी के गिरफ्तार नेता अभिजात्य मिश्रा (जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया ) ने कहा कि समाजवादी सरकार एक खास योजना के तहत एक खास समुदाय के वोट के लिए हिंदुओं को उनके इलाके में आयोजन से रोक रही है.
भारी पुलिस बल तैनात
एक दूसरे के विरोध में प्रशासन के नाक के नीचे दो समुदायों के बीच का यह तनाव अखिलेश सरकार के कामकाज पर सीधे सवाल खड़े कर रहा है. बीती रात विनीत खंड के प्रज्ञा पार्क में पुलिस पर पथराव के बाद से भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. यहां रहने वाले बाशिंदों के मुताबिक स्थानीय लोगों में कोई तनाव नहीं है मामले को आपस में सुलझा लिया गया था, लेकिन बाहर के लोग तनाव बढ़ा रहे हैं. मौके पर मौजूद सिविल डिफेन्स के अधिकारी रूप कुमार शर्मा ने कहा कि ये तनाव पिछले कुछ समय से चल रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों में ये काफी बढ़ गया. हालांकि अभी हालात नियंत्रण में है.
धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक
बीजेपी के महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा समाजवादी पार्टी कानून व्यवस्था को पहले धार्मिक रंग लेने देती है और बाद में उसमें एक खास वोटबैंक को ध्यान में रखकर फैसले लेती है. यही पहले मुजफ्फरनगर में हुआ फिर कैराना में हुआ और अब लखनऊ में हो रहा है.
बहरहाल सरकार ने पार्क में सभी तरह के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा दी है और पूरे पार्क में भारी पुलिसबल की तैनाती कर रखी है.