जेपी एसोसिएट्स को यमुना एक्सप्रेस वे और अन्य जगहों पर मौजूद अपनी संपत्तियों को बेचने या लीज पर ट्रांसफर कर पैसे जुटाने का रास्ता साफ हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 30 हजार से ज्यादा निवेशकों के जमा किये 2000 करोड़ से ज्यादा रुपये लौटाने के लिए पहले 550 करोड़ रुपये जमा कराने की शर्त रखी थी.
कोर्ट ने इस शर्त की आखिरी किस्त अदा करने के लिए जेपी ग्रुप के प्रबंधन को अब 25 जनवरी तक मोहलत दे दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप को 31 दिसंबर तक ही ये रकम जुटाकर जमा करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जेपी ग्रुप मैनेजमेंट ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब तक साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये में से पहले 275 करोड़ और दिसंबर में 150 करोड़ रुपये अदा कर दिये गये हैं. अब आखिरी किस्त सवा सौ करोड़ रुपये अदा करने को और मोहलत मिल जाए तो आसानी होगी. कोर्ट ने 25 दिन और बढ़ा दिए. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के दो हजार करोड़ से ज्यादा रुपये लौटाने के लिए पहले 27 अक्तूबर तक की मोहलत दी थी. यानी 27 अक्तूबर तक ये रकम सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने की शर्त थी.
जेपी ग्रुप के काफी मिन्नतों के बाद कोर्ट ने पहले हजार करोड़ रुपये जमा करने की शर्त रखी. इस पर भी जेपी ग्रुप अपनी मजबूरियां बताता रहा, कहा कि संपत्तियां बेच कर अदा कर देगा. पर कोर्ट का कहना था कि संपत्तियां बेचकर ये रुपये निवेशकों को ही दिये जाएंगे इसकी क्या गारंटी है.
लिहाजा रकम अदा करने तक कोई संपत्ति बेचने या लीज पर ट्रांसफर करने पर भी रोक लगा दी गई. फिर बात उठी सात सौ करोड़ जमा करने की शर्त पर, लेकिन आखिरकार कम से कम साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये जमा कराने को कहा था. इससे कम पर सुप्रीम कोर्ट किसी भी तरह की कोई मुरौव्वत बरतने को तैयार नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट ने कई बार जेपी एसोसिएट्स के प्रबंधकों और निदेशकों को कोर्ट में तलब किया था. कोर्ट ने साफ कह दिया था कि या तो निवेशकों को फ्लैट दिये जाएं या फिर उनकी जमा रकम पर 14 फीसदी ब्याज की दर से रकम लौटाई जाए. जेपी एसोसिएट्स ने बार-बार कहा कि उनको 205 किलोमीटर लंबे छह लेन वाले यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास की संपत्ति लीज पर देने की छूट दी जाए तो उसी रकम से वो निवेशकों को भुगतान कर देंगे. इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक में उनके 593 करोड़ रुपये जमा हैं, लेकिन कोर्ट जेपी के किसी भी प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं हुआ, क्योंकि वे सभी पेशकश कोर्ट की नजर में लचर थीं.
कोर्ट के सख्त रवैये के बाद जेपी एसोसिएट्स ने अब तक 425 करोड़ रुपये तो सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कर दिये, बाकी की रकम के लिए मोहलत मिल गई. उधर कोर्ट ने तमाम निवेशकों को भी उनके तमाम हित सुरक्षित और संरक्षित रखने का भरोसा दिया हुआ है. कोर्ट ने शुक्रवार को भी एक होम बायर यानी घर खरीदार की याचिका पर भरोसा दिया कि कोर्ट उनके हितों की रक्षा के लिए ही तमाम कवायद कर रही है.