सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन के पुनर्निधारण के लिए गठित मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को बरकरार रखते हुए कर्मचारियों को परिवर्तित वेतन देने का निर्देश दिया. प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि कर्मचारियों को परिवर्तित वेतन 11 नवंबर, 2001 से मिलना चाहिए.
सरकार ने इसी तारीख को बोर्ड की सिफारिशें अधिसूचित की थीं. न्यायालय ने कहा कि कर्मचारियों को नया वेतन अप्रैल, 2014 से मिलेगा और नियोक्ता को एक साल के भीतर चार किश्तों में बकाया राशि का भुगतान करना होगा. न्यायाधीशों ने कहा, हम सिफारिशों को वैध ठहराते हैं. बोर्ड ने अपनी सिफारिशें देने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया था और उसके तथा उसके गठन के बारे में लगाए गए आरोप सही नहीं हैं. न्यायालय ने बोर्ड के गठन की वैधानिकता और इसकी सिफारिशों को चुनौती देने वाली विभिन्न समाचार पत्रों के प्रबंधकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.
न्यायाधीशों ने कहा कि हम पूरी तरह संतुष्ट हैं कि बोर्ड द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया वैध है और उसने एकतरफा और मनमाने तरीके से कोई निर्णय नहीं किया है. न्यायालय ने कहा कि अतिरिक्त वेतन के बारे में बोर्ड की सिफारिशें भी उसके अधिकार क्षेत्र में थीं. न्यायालय ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि वेतन संरचना अनुचित है.न्यायालय ने इस साल जनवरी में समाचार पत्रों की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद कहा था कि निर्णय बाद में सुनाया जाएगा.
श्रम मंत्रालय ने समा़चार पत्र उद्योग की आपत्तियों के बावजूद 2007 में मजीठिया वेतन बोर्ड का गठन किया था और इसके बाद जनवरी, 2008 से कर्मचारियों को मूल वेतन का 30 फीसदी तदर्थता के आधार पर अंतरिम राहत देने की घोषणा की गई थी. वित्तीय बोझ के बावजूद समाचार पत्र उद्योग ने इसे लागू किया था। वेतन बोर्ड ने 31 दिसंबर, 2010 को अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी थीं, जिन्हें केंद्र ने कुछ संशोधनों के साथ 11 नवंबर, 2011 को अधिसूचित किया था.