scorecardresearch
 

NJAC मामलाः जस्टिस खेहड संविधान पीठ की अध्यक्षता करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मुद्दों पर विराम लगाते हुए जजों की नियुक्ति के बारे में नये कानून की वैधानिकता पर संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई का रास्ता बुधवार को साफ कर दिया. साथ ही संविधान पीठ ने जजों के इस मामले की सुनवाई से हटने का अनुरोध ठुकरा दिया.

Advertisement
X
Supreme Court
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न मुद्दों पर विराम लगाते हुए जजों की नियुक्ति के बारे में नये कानून की वैधानिकता पर संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई का रास्ता बुधवार को साफ कर दिया. साथ ही संविधान पीठ ने जजों के इस मामले की सुनवाई से हटने का अनुरोध ठुकरा दिया.

जस्टिस जे चेलामेश्वर ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ की ओर से कहा, जस्टिस जे एस खेहड सुनवाई से खुद को अलग नहीं करेंगे. संविधान पीठ ने जस्टिस खेहड के पीठ की अध्यक्षता करने पर उठाई गई आपत्ति अस्वीकार कर दी. जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि जस्टिस खेहड़ के सुनवाई से नहीं हटने के कारणों को बाद में बताया जायेगा.

संविधान पीठ के सदस्यों में जस्टिस खेहड और जस्टिस चेलामेश्वर के साथ जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं. संविधान पीठ ने कहा कि वह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून, जिसे अधिसूचित किया जा चुका है, की वैधानिकता को लेकर दायर याचिकाओं पर 27 अप्रैल से सुनवाई शुरू करेगी. यह कानून सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की दो दशक पुरानी व्यवस्था का स्थान लेगा.

Advertisement

कोर्ट ने केन्द्र, सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किये हैं और उन्हें इस मामले को लेकर तैयार करने के लिये कहा है जिसमें पूरी तरह कानूनी सवाल शामिल हैं. कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि वह सक्षम प्राधिकार से जजों के बारे में, विशेषकर उच्च न्यायालयों के अतिरिक्त जजों के बारे में निर्देश प्राप्त करें जिनका कार्यकाल इस मामले के लंबित होने के दौरान ही निकट भविष्य में पूरा हो रहा है.

कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा और केन्द्र सरकार का दृष्टिकोण जानने के बाद कोई अंतरिम आदेश देगा, क्योंकि यह चिंता का विषय है और उनके भविष्य को अधर में नहीं लटकाया जा सकता है. जस्टिस खेहड़ ने स्पष्ट किया कि उनकी अध्यक्षता वाली पीठ एक निश्चित समय के भीतर सुनवाई पूरी करके इस मामले का निबटारा करना चाहेगी.

उन्होंने कहा कि सोमवार से शुरू हो कर 14 कार्य दिवस बहस पूरी करने के लिये पर्याप्त होंगे और यदि आवश्यक हुआ तो ग्रीष्मावकाश के दौरान एक या दो दिन के समय का इस्तेमाल किया जायेगा. इस बात पर भी सहमति हुई कि 99वें संविधान संशोधन कानून, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून, 2014 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ही बहस की शुरूआत करेगी.

Advertisement

इस संस्था की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन पेश हो रहे हैं. अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी इस कानून का बचाव करेंगे. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों से इस कानून को समर्थन मिला है. इनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. वेणुगोपाल और हरीश साल्वे पेश होंगे.

इन सभी ने केन्द्र सरकार के इस रूख का समर्थन किया है कि जस्टिस खेहड को पीठ की अध्यक्षता करनी चाहिए, जिसे हितों के टकराव और दुराग्रह के सिद्धांत के आधार पर जजों के सुनवाई से हटने के संबंध में दिशानिर्देश प्रतिपादित करने चाहिए.

कोर्ट ने पांच घंटे की लंबी सुनवाई समाप्त करते हुए कहा कि सेक्रेट्री जनरल यह सुनिश्चित करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन की याचिका न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रहे जिसे राज्यों के वकील डाउनलोड कर सकते हैं.

Advertisement
Advertisement