कोर्ट ने IT एक्ट की धारा 66 A को अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार के विरुद्ध मानते हुए इसे रद्द कर दिया है. संविधान की धारा 19 A के तहत हर नागरिक के पास अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है.