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व्यंग्य: मोदी ने तोड़ा मौन, बीजेपी नेताओं के इस्तीफे से कांग्रेस सकते में

मौन एक रहस्य है. रहस्य की अपनी ताकत होती है. ताकत जब तक रहस्य बनी रहती है तब तक उसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. जब रहस्य से पर्दा उठता है तो सच सामने आता है.

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मनमौहन सिंह, नरेंद्र मोदी
मनमौहन सिंह, नरेंद्र मोदी

मौन एक रहस्य है. रहस्य की अपनी ताकत होती है. ताकत जब तक रहस्य बनी रहती है तब तक उसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. जब रहस्य से पर्दा उठता है तो सच सामने आता है.

'महाभारत' में आंखें बंद रही होंगी, 'नया-भारत' में जबान बंद रखने का फैशन है.

हंगामे और शोर में मौन टूटता भी है तो पता नहीं चलता. जब पता चलता है तो सिवा हैरानी के कुछ हाथ नहीं आता.

ये नए दौर की सियासत है . इसकी दास्तां इतनी अजीब है कि कहां शुरू होती है, कहां खत्म? अंदाजा भी नहीं लगता.

मौनमोहन मोदी
मनमोहन सिंह ने मौन की ताकत के वक्त रहते समझ लिया था. तब तक मौन नहीं तोड़े जब तक कि 'मौनमोहन' का खिताब न मिला. जब मौन तोड़ा तो उसमें भी गुगली लपेट दी, "हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी."

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मोदी के शपथ लेते ही चैनलों पर टू विंडो बना. स्लग दिया गया - 'बोलता प्रधानमंत्री'. विंडो में एक तरफ थे मोदी तो दूसरी तरफ मनमोहन. 'द ग्रेट कॉन्ट्रास्ट.' दिन बीते. महीने बीते. साल भी बीत ही गया. कुछ ही दिन और बीते होंगे...

ब्रेक के बाद , फिर से घोटालों ने दस्तक दी. एक के बाद एक. एक, दो, तीन... दिल्ली से भोपाल तक वाया जयपुर.

एक ही ललित ग्रह ने राहु-केतु जैसा डबल बेनिफिट उठाते हुए दिल्ली और जयपुर पर पूर्ण दृष्टि लगाई. उधर, व्यापम उछल उछल कर ड्रैकुला और एनाकोंडा को पीछे छोड़ने लगा.

व्यापम ने तो सुरसा को भी पीछे छोड़ दिया. कोई चकमा देकर भी निकल न पाए, एग्जिट से ऐन पहले ही उसने अपने जबड़े भींच लिए. सारा कुछ नैचुरली नजर आया.

अच्छे दिन आएंगे. पर इतने अच्छे! उम्मीद तो उन्होंने भी नहीं की होगी. खामोशी को अख्तियार करना पड़ा. ताकत संचित करने का हथियार बनाना पड़ा.

कहां गए साहेब? ये 'मौनमोहन मोदी' कैसे हो गए?

यू ट्यूब पर पुराने वीडियो कुलांचे भर रहे थे . सबूत वायरल होने लगे. आप तो ऐसे न थे.

मौन टूटना था, मगर...
हंगामा जारी था. हंगामे शंखध्वनि का रूप ले चुके थे. मौका और दस्तूर, दोनों का पूरा फायदा उठाते हुए युधिष्ठिर (FTTI वाले नहीं) ने अचानक घोषणा पत्र बांच डाली:

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"सेवा में सविनय निवेदन के साथ सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह ने अपने अपने इस्तीफे सौंप दिये हैं. औपचारिक आवश्यकताएं भी पूरी कर ली गई हैं."

पूरा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें या www.ichowk.in पर जाएं.

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