हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाडि़या ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश मंजूर कर ली है. इसके साथ ही राज्य में समयपूर्व चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. हरियाणा मंत्रिमंडल ने राज्य विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से सात महीने पहले ही 90 सदस्यीय विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की थी, जिसे मंजूरी मिल गई.
अन्य राज्यों के साथ होंगे हरियाणा के चुनाव
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया से विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने की सिफारिश की गई थी. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री करतार देवी की मौत के कारण मंत्रिमंडल की 17 अगस्त को होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई थी. मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के साथ ही हरियाणा में भी अक्तूबर में चुनाव करने का समर्थन किया.
लोकसभा चुनाम में मिली थी भारी जीत
लोकसभा चुनाव में राज्य की दस में से नौ सीटों पर शानदार विजय से उत्साहित कांग्रेस ने राज्य की जनता से मिले प्रचंड समर्थन को भुनाने के लिए समयपूर्व विधानसभा चुनाव कराने का फैसला किया.
लोकसभा चुनाव में मिली थी विपक्ष को करारी हार
राज्य विधानसभा के चुनाव अगले वर्ष फरवरी में होना तय था, लेकिन ऐसा लगता है कि हुड्डा ‘कमजोर विपक्ष’ को संभलने का मौका दिए बिना विधानसभा में वापसी करना चाहते हैं. राज्य में इंडियन नेशनल लोकदल (इनलोद-भाजपा) को लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी, जबकि नवगठित हरियाणा जनहित कांग्रेस (भजनलाल) बसपा गठबंधन अभी अपनी जड़ें जमाने में लगा है.
वर्तमान में कांग्रेस के 64 विधायक
मौजूदा विधानसभा का गठन 20 मार्च 2005 को किया गया था. मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 64 है, जबकि इनलोद के आठ विधायक हैं. इनके अलावा भाजपा, बसपा और एनसीपी का एक एक सदस्य है और दस निर्दलीय हैं. पांच सीटें अभी रिक्त हैं.