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मोदी सरकार को सहयोगियों की सलाह, बाजार के हाथ में तेल की कीमतें होना ठीक नहीं

पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. लगातार मांग उठ रही है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी घटाए. पश्चिम बंगाल की सरकार ने मंगलवार को पेट्रोल की कीमतों में 1 रुपए की कटौती की थी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो, Getty)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो, Getty)

पेट्रोल-डीज़ल के बेकाबू होते दाम मोदी सरकार के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं. आम जनता और विपक्ष के बाद अब एनडीए के सहयोगियों ने भी इस पर चिंता जाहिर करनी शुरू कर दी है. बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब इस मसले में हस्तक्षेप करना चाहिए.

केसी त्यागी का कहना है कि अमेरिका-ईरान, अमेरिका-चीन के बीच प्रतिस्पर्धा, डॉलर-रुपया के बीच चल रही उठापठक के कारण पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ रहे हैं. बता दें कि एनडीए की अन्य सहयोगी पार्टियां शिवसेना, अकाली दल, जेडीयू और लोकजन शक्ति पार्टी भी इसी तरह की मांग कर रही हैं.

सहयोगी दलों का कहना है कि चुनावी साल में बाज़ार के हाथ में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें होना ठीक नहीं है. केसी त्यागी ने कहा कि विपक्ष ये सही कह रहा है कि मई 2014 में क्रूड ऑयल की कीमत आज से ज़्यादा थी और आज के मुकाबले में पेट्रोल डीज़ल की क़ीमत कम थी. उन्होंने कहा कि सहयोगी दलों ने अपनी राय रख दी है, अब सरकार को जल्द फैसला करना होगा.

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आपको बता दें कि केंद्र सरकार लगातार तर्क दे रही है कि अंतरराष्ट्रीय कारणों के कारण पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें बढ़ रही हैं. सरकार उसमें कुछ भी नहीं कर सकती है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से ग्राफ के जरिए ये बताया गया था कि एनडीए के कार्यकाल में दाम बढ़ने की गति कम है और यूपीए के दौरान ये गति ज्यादा था. हालांकि, इस ग्राफ पर भी बीजेपी सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुई थी.

गौरतलब है कि बीते 10 सितंबर को कांग्रेस की अगुवाई में कुल 21 राजनीतिक दलों ने भारत बंद बुलाया था. इस दौरान नई दिल्ली में कई दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ धरना दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला किया था.

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