फेफड़े के कैंसर से धूम्रपान करने वाले ही नहीं बल्कि धूम्रपान ना करने वाले लोग भी जूझ रहे हैं. ऐसा शायद बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से हो रहा है. पिछले छह सालों के दौरान की गई रिसर्च में यह दावा किया गया है.
प्रसिद्ध हॉस्पिटल सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने अपने यहां भर्ती हुए फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे मरीजों पर की गई रिसर्च के नतीजे को चिंताजनक बताया है. इस रिसर्च में मार्च 2012 से जून 2018 तक 150 से ज्यादा मरीजों का विश्लेषण किया गया.
गंगा राम अस्पताल में फेफड़ों के सर्जन अरविंद कुमार ने कहा कि इन मरीजों में तकरीबन 50 फीसदी लोग धूम्रपान नहीं करते थे. कुमार ने कहा कि फेफड़े का कैंसर खतरनाक बीमारी है और इसके निदान के बाद पांच साल तक जीवित रहने की उम्मीद होती है. उन्होंने कहा कि धूम्रपान नहीं करने वाले युवाओं और युवतियों में फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामले को देखकर हैरान हैं.
उन्होंने कहा कि धूम्रपान फेफड़े के कैंसर की मुख्य वजह है लेकिन इसके बढ़ते मामलों में प्रदूषित हवा की भी अहम भूमिका है. डॉक्टर अरविंद ने कहा कि प्रदूषित शहर में रहने वाले व्यक्ति बिना धूम्रपान किए ही हर समय अपने अंदर धूम्रपान वाला धुंआ लेते हैं.
धूम्रपान न करने वाले युवक और युवतियों में बढ़ते फेंफड़े के कैंसर के मामलों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक है. जिससे फेफड़ों को धूम्रपान करने जितना ही नुकसान पहुंच रहा है.