मेरठ के एक पिता ने बड़े अरमानों से अपने सपूत को सेना में भेजने का सपना देखा था. सोचा था अफसर बनकर देश की सेवा करेगा और बुढ़ापे का सहारा बनेगा. 2012 में शहीद केतन शर्मा ने उनके सपनों को साकार किया. IMA देहरादून से पास होकर सेना में लेफ्टिनेंट बनें. लेकिन तब किसे पता था कि बुजुर्ग के अरमानों पर पानी फिर जाएगा. और ये कि सरहद की हिफाजत की कसमें खाने वाला केतन दुश्मनों के नापाक इरादों को कुचलने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देगा. अब बूढ़ी मां सेना के अफसरान से कह रही है कि मेरा बेटा मुझे लौटा दो.
शहीद केतन शर्मा की पांच साल पहले शादी हुई थी. मां-बाप ने बड़े अरमानों से बेटे की शादी की थी. सोचा था कि भारत माता की रक्षा करने वाला लाल जब घर आएगा तो पूरा परिवार खुशहाल हो जाएगा. एक साथ बैठकर बेटे बहू के साथ बातें करेंगे. साथ घूमेंगे और शान से सीना चौड़ा हो जाएगा. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
Last rites of Army Major Ketan Sharma being performed at his residence in Meerut. He lost his life in Anantnag encounter yesterday. pic.twitter.com/lpNr9Cixxb
— ANI UP (@ANINewsUP) June 18, 2019
केतन कुछ दिन पहले घर से छुट्टियां मनाकर वापस ड्यूटी पर गए थे और परिवार को वचन दिया था कि जल्द वापस लौटेंगे. केतन की पत्नी इरा ने कई अरमान सजा रखे थे. एक पूरी अरमानों की फेहरिस्त कि उनके आने पर क्या-क्या करेगी. लेकिन केतन की शहादत की खबर सुनते ही सारे अरमानों पर पानी फिर गया. तीन साल की बेटी काइरा का रो-रोकर बुरा हाल है. वह ज्यादा नहीं समझती लेकिन पापा को ढूंढ रही है. अब उसे कौन जवाब देगा कि पापा कब लौटेंगे.
आपको बता दें कि मंगलवार को अनंतनाग में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई. इसमें मेरठ निवासी मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए. इससे पहले सोमवार को अनंतनाग के एकिंगम में आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था. इसके बाद सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया था और दोनों तरफ से फायरिंग जारी थी.
मंगलवार को जैसे ही केतन की शहादत की खबर आई तो सेना के बड़े अधिकारी के साथ-साथ कैंट विधायक सत्यप्रकाश समेत कई स्थानीय नेता शहीद के घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. योगी सरकार ने 25 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की. साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा भी किया है. लेकिन इन हुकमरानों के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि सपूतों की शहादत कब रुकेगी.