केरल में सबरीमाला मंदिर के कपाट आज यानी शनिवार को खोल दिए जाएंगे. इसके बाद श्रद्धालु 2 महीने तक सबरीमाला मंदिर में दर्शन कर सकेंगे. सबरीमला में आज से मंडला पूजा की शुरुआत होगी. महिलाओं के प्रवेश और सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर परिसर के पास ढाई हजार से ज्यादा पुलिस बल की तैनाती की गई है.
शनिवार शाम सबरीमाला मंदिर के खुलने के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने, उनकी सुरक्षा और किसी भी तरह की अनहोनी को पहले से टाल देने के उद्देश्य के साथ पठानमथिट्टा में अभी से ही सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है. हालांकि, श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए 17 नवंबर से ही प्रवेश कर पाएंगे.
महिलाओं की एंट्री बरकरार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को दिए गए फैसले के बाद महिलाओं के पास सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने का अधिकार बरकरार है . सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला फैसले पर पुनर्विचार याचिका को बड़ी बेंच के पास भेजा है. कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हों और आगे 7 जजों की बेंच इस बारे में अपना फैसला सुनाएगी. फिलहाल मंदिर में कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी. त्रावणकोर देवासम बोर्ड के मुताबिक, जो लोग कानूनी रूप से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं, उन्हें रोका नहीं जाएगा.
दो जजों की राय थी अलग
इस मुद्दे पर जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी. उनका मानना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है. दो जजों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए.
सबरीमाला मसले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई की जाएगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा.