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राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना चाहते थे डॉ. कलाम, विधानसभा भंग करने से थे नाराज

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब तक इस धरती पर रहे, उन्होंने वही किया जो उनकी अंतरात्मा ने कहा. जब भी वह इच्छा के विरुद्ध कुछ करते तो उद्वेलित हो उठते. ऐसा ही एक मौका आया था 2006 में जब उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा ही देने का मन बना लिया था.

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दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम

दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था. दरअसल, कलाम के पास बिहार विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव आया था, जिस पर उन्हें न चाहते हुए भी हस्ताक्षर करने पड़े थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा को भंग करने वाले राष्ट्रपति आदेश को ही खारिज कर दिया था. तब कलाम को लगा था कि उन्हें हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए थे. कलाम 2002 में राष्ट्रपति बने थे. इसी साल 27 जुलाई को उनका निधन हो गया था.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कलाम के पूर्व प्रेस सेक्रेट्री एसएम खान ने यह खुलासा किया है. खान ने 'महानतम इंसान के साथ मेरे दिन' शीर्षक के लेक्चर में ये बातें कहीं. उन्होंने बताया कि तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की. कैबिनेट ने इसे मंजूर किया और अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया. तब वह रूस यात्रा पर थे. खान फिलहाल रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया (RNI) के डायरेक्टर जनरल हैं.

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बड़े भाई से भी की थी चर्चा
खान के मुताबिक कलाम ने इस मसले को लेकर रामेश्वरम में अपने बड़े भाई से भी चर्चा की थी. हालांकि उनके भाई इस तरह के किसी भी कदम के खिलाफ थे. क्योंकि यदि कलाम इस्तीफा देते तो संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा होती. आखिरी में कलाम भी इसी फैसले पर पहुंचे कि इस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा करते हुए राष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ाई .

वाजपेयी को बताया था विजन-2020
खान ने यह भी बताया कि टेक सेवी पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके कैबिनेट सहयोगियों को भी अपना विजन-2020 बताया था, वह भी पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के साथ. कलाम अपने इसी विजन के साथ दुनिया को अलविदा कह गए. खान ने बताया कि कलाम को पावर पॉइंट प्रजेंटेशन में बड़ी दिलचस्पी थी. वह विदेशी नेताओं से मुलाकात के दौरान भी पावर पॉइंट प्रजेंटेशन पर ही जोर देते थे.

जब बुश ने कहा था- इसके लिए मुझे वैज्ञानिक होना पड़ेगा
खान ने कलाम के साथ बीते दिनों को याद करते हुए एक वाकया भी साझा किया. बात 2006 की ही है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश उनसे मिलने आए थे. कलाम ने उन्हें अपने एक पावर पॉइंट प्रजेंटेशन में बिठा लिया. पूरा प्रजेंटेशन देखने के बाद बुश ने उनसे कहा था- 'सर इसे समझने के लिए मुझे वैज्ञानिक बनना पड़ेगा. लेकिन हम इस पर निश्चित तौर पर काम करेंगे.'

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कलाम को रह गया यह मलाल
अपने आखिरी दिनों में कलाम ने एक किताब के जरिये बताया था कि उन्हें अपने माता-पिता को 24 घंटे बिजली मुहैया न करा पाने का मलाल था. कलाम ने अपनी किताब 'रिइग्नाइटिडः साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर' में अपनी जिंदगी के बहुत से अनछुए पहलुओं पर बात की है. उन्होंने कहा था, ‘मैं अपने माता-पिता को ऐसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सका, क्योंकि उस समय ऐसी तकनीक नहीं थी. इसका मुझे सबसे अधिक अफसोस है.' उन्होंने लिखा है कि उनके बचपन के दिनों में अभाव सबसे बड़ी चुनौती था. लेकिन उनके माता-पिता ने कभी महसूस नहीं होने दिया कि उन्हें सब चीजों का इंतजाम करने में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, उनके 99 साल के भाई एपीजे एम मरईकयार तमिलनाडु के रामेश्वरम में अपने घर पर अब 24 घंटे बिजली पा रहे हैं.

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