भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो (Indian Space Research Organization- ISRO) आज यानी 11 दिसंबर 2019 को दोपहर 3.25 बजे ताकतवर राडार इमेजिंग सैटेलाइट रीसैट-2बीआर1 (RiSAT-2BR1) की सफल लॉन्चिंग कर दी है. लॉन्चिंग के बाद अब देश की सीमाओं पर नजर रखना आसान हो जाएगा. ये सैटेलाइट रात के अंधेरे और खराब मौसम में भी काम करेगा. यानी धरती पर कितना भी मौसम खराब हो. कितने भी बादल छाए हों, इसकी निगाहें उन घने बादलों को चीरकर सीमाओं की स्पष्ट तस्वीर ले पाएगी.
#PSLVC48 carrying #RISAT2BR1 & 9 customer satellites successfully lifts off from Sriharikota pic.twitter.com/Y1pxI98XWg
— ISRO (@isro) December 11, 2019
33 देशों के 319 सैटेलाइट्स छोड़ने का रिकॉर्ड
इतना ही नहीं, इस लॉन्चिंग के साथ ही इसरो के नाम एक और रिकॉर्ड बन गया है. ये रिकॉर्ड है - 20 सालों में 33 देशों के 319 उपग्रह छोड़ने का. 1999 से लेकर अब तक इसरो ने कुल 310 विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में स्थापित किए हैं. आज के 9 उपग्रहों को मिला दें तो ये संख्या 319 हो गई है. ये 319 सैटेलाइट्स 33 देशों के हैं.
The countdown for the launch of #PSLVC48/#RISAT2BR1 mission commenced today at 1640 Hrs (IST) from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota.#ISRO pic.twitter.com/fJYmCFRpJc
— ISRO (@isro) December 10, 2019
हर साल औसत 16 विदेशी उपग्रह छोड़ता है इसरो
कॉमर्शियल लॉन्चिंग को लेकर इसरो की क्षमता में साल दर साल इजाफा हुआ है. सबसे पहला कॉमर्शियल लॉन्च 26 मई 1999 को पीएएसएलवी-सी2 से किया गया था. इस लॉन्चिंग में जर्मनी और दक्षिण कोरिया के एक-एक सैटेलाइट्स छोड़े गए थे. 90 के दशक में दो विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए. इसके बाद अगले एक दशक में यानी 2010 तक इसरो ने 20 विदेशी उपग्रह छोड़े. इसके बाद 2010 से अब तक 297 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए. यानी अभी इसरो की क्षमता इतनी हो गई है कि वह हर साल औसतन 16 विदेशी उपग्रह छोड़ सकता है.
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तीन साल में विदेशी उपग्रहों से इसरो ने कमाए 6289 करोड़
इसरो ने पिछले तीन साल (2016-17-18) में कॉमर्शियल लॉन्चिंग (विदेशी उपग्रहों समेत) से करीब 6289 करोड़ रुपए कमाए हैं. ये जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में जुलाई में दी थी.
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इस बार यह लॉन्चिंग महत्वपूर्ण क्यों?
21 मिनट में स्थापित हो जाएंगे सभी 10 उपग्रह
पीएसएलवी-सी48 क्यूएल रॉकेट के लॉन्च होने के करीब 21 मिनट बाद सभी 10 उपग्रह अपनी-अपनी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित हो जाएंगे. पीएसएलवी-सी48 क्यूएल रॉकेट में चार स्ट्रैप ऑन हैं, इसलिए पीएसएलवी के आगे क्यूएल लिखा गया है.
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कैसे काम करेगा RiSAT-2BR1?
RiSAT-2BR1 (रीसैट-2बीआर1) दिन और रात दोनों समय काम करेगा. ये माइक्रोवेव फ्रिक्वेंसी पर काम करने वाला सैटेलाइट है. इसलिए इसे राडार इमेजिंग सैटेलाइट कहते हैं. यह रीसैट-2 सैटेलाइट का आधुनिक वर्जन है.
RiSAT-2BR1 कैसे करेगा देश की मदद?
RiSAT-2BR1 (रीसैट-2बीआर1) किसी भी मौसम में काम कर सकता है. साथ ही यह बादलों के पार भी तस्वीरें ले पाएगा. लेकिन ये तस्वीरें वैसी नहीं होंगी जैसी कैमरे से आती हैं. देश की सेनाओं के अलावा यह कृषि, जंगल और आपदा प्रबंधन विभागों को भी मदद करेगा.
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इसरो RiSAT-2BR1 सैटेलाइट को पीएसएलवी-सी48 क्यूएल रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड नंबर एक से अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया. 628 किलोग्राम वजनी RiSAT-2BR1 सैटेलाइट को पृथ्वी से 576 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे स्थापित होने में करीब 21 मिनट लगेंगे.जमीन की रजिस्ट्री की जगह जियोटैगिंग, तकनीक से ऐसे आसान होगी राह
9 विदेशी उपग्रहों की भी साथ में होगी लॉन्चिंग
इसरो पीएसएलवी-सी48 क्यूएल रॉकेट के जरिए RiSAT-2BR1 को तो लॉन्च कर ही चुका है. साथ ही अमेरिका के 6, इजरायल, जापान और इटली के भी एक-एक सैटेलाइट का प्रक्षेपण इसी रॉकेट से हो चुका है.
मुंबई हमलों के बाद किया गया था बदलाव
26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के बाद शुरुआती रीसैट सैटेलाइट की तकनीक में बदलाव किया गया था. इन्हीं हमलों के बाद इस सैटेलाइट के जरिए सीमाओं की निगरानी की गई थी. घुसपैठ पर नजर रखी गई थी. साथ ही आतंकविरोधी कामों में भी यह सैटेलाइट उपयोग में लाई जा सकेगी.