भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की सफल लॉन्चिंग के बाद पूरी दुनिया भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता से चकित है. सभी देश इस लॉन्चिंग की खुलकर तारीफ कर रहे हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक अब इंतजार कर रहे हैं चंद्रयान-2 के चांद पर पहुंचने की. क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी भी देश ने अपना कोई यान नहीं उतारा है. वहां से मिलने वाली जानकारी भारत के साथ-साथ कई देशों के लिए फायदेमंद होगी.
भारत के साथ कई मामलों में विरोध जताने वाला चीन भी चंद्रयान-2 की चमक से चकित है. उसने पहली बार अंतरिक्ष मिशन के लिए भारत से मदद की अपील की है. चीन चाहता है कि वह भारत के साथ मिलकर चांद पर खोजी अभियान भेजे. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने इसरो को बधाई देते हुए कहा कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन से हमें भी काफी उम्मीदें हैं. चीन इसे बेहद सकारात्मक तरीके से देखता है. चीन चाहता है कि भविष्य में चीन और भारत साथ मिलकर अंतरिक्ष से संबंधी अभियानों को अंजाम दे.
हुआ चुनिंग ने कहा कि मानवता की भलाई के लिए चीन ऐसे कई अंतरिक्ष अभियान करता आया है. भारत भी ऐसे ही प्रोजेक्ट्स में कई सालों से लगा हुआ है. क्योंकि अंतरिक्ष में प्रयोग के तौर पर भेजी गई तकनीक का सफल उपयोग बाद में उन सैटेलाइट्स में किया जाता है जो संचार, मौसम, आपदा संबंधी होते हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि चांद पर मिशन के लिए भारत और चीन एकसाथ काम करें.
जानिए...चीन की इस अपील के पीछे का क्या है कारण?
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के चीफ झांग केजियान ने कुछ हफ्तों पहले कहा था कि चीन अगले 10 साल में यानी 2029-30 तक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मानव मिशन भेजने की योजना बना रहा है. जबकि, भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मून मिशन भेजने वाला पहला देश बनने के करीब है. ऐसे में जब चांद के दक्षिणी ध्रुव से चंद्रयान-2 जानकारियां देगा तो वह चीन के काफी काम आएगा.
चीन को चंद्रयान-2 से मिली सूचनाओं से यह पता चलेगा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर वातावरण कैसा है, रेडिएशन कितना है और किस तरह वहां रोशनी और अंधेरे का आना-जाना होता है. इन सभी जानकारियों की बदौलत चीन चांद पर भेजे जाने वाले अपने मानव मून मिशन में जरूरी बदलाव करेगा. ताकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर समय बिताने वाले उसके अंतरिक्ष यात्रियों को दिक्कत न हो.
चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा भारत
चांद की सतह पर अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही सॉफ्ट लैंडिंग करा पाए हैं. 6 सितंबर को भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. चीन को इस बात का पूरा भरोसा है कि इसरो का यह मिशन पूरी तरह से सफल होगा. इसलिए वह अगले मून मिशन में भारत का सहयोग चाहता है. हालांकि, अभी चीन ने सिर्फ रुचि दिखाई है. इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्री इसपर आपस में बात करेंगे. सहमति बनने पर दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां आपस में समझौता करेंगी. तब कहीं जाकर पूरा होगा चीन का भारत के साथ काम करने का सपना.