अमरनाथ यात्रा के दौरान हुए आतंकी हमले से सरकार और सुरक्षा एजेंसियों दोनों को हिला दिया है. आर्मी चीफ बिपिन रावत ने हमले के बाद कश्मीर का दौरा किया और संकेत दिए कि आतंकियों पर अब कार्रवाई तेज की जाएगी. आपको बता दें कि 2017 में अभी तक घाटी और LoC पर भारतीय सेना लगभग 100 आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है. 2017 से पहले तक पिछले वर्ष भारतीय सेना ने भी आतंकियों से लड़ते हुए 87 जवान खो चुका था, जिसमें उरी हमले में शहीद हुए 20 जवान भी शामिल थे.
उरी हमले के बाद जनरल बिपिन रावत ने आर्मी की कमान संभाली थी, जो कश्मीर के मामले के एक्सपर्ट रहे हैं. शायद केंद्र सरकार का यह फैसला सही साबित हुआ तभी इस साल 11 जुलाई तक 100 आतंकियों को मार गिराया गया है. आर्मी सूत्रों की मानें, बिपिन रावत ने कमान संभालने के बाद अपने शुरुआती संदेश में साफ किया था हमें घाटी में आतंकियों के लिए मुश्किल पैदा करनी है.
सेना के एक अधिकारी के अनुसार, इसमें क्रेडिट लेने की कोई भी बात नहीं है, ये सब सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर किया है. आंकड़ों की मानें, तो सेना ने जून के महीने में ही 30 से ज्यादा आतंकियों मार गिराया. इसमें सबसे ज्यादा आतंकी राष्ट्रीय रायफल के जवानों ने मारे. आर्मी के ऑपरेशन में शुरुआती 4 महीने में ही 42 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. लेकिन जून आते ही सेना ने एक्शन में तेजी ला दी.
इस महीने 11 को किया ढेर
आंकड़ों के अनुसार, मई में 17, जून में 30 और अभी 11 जुलाई तक 11 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. आर्मी सूत्रों की मानें, तो अभी सेना की कार्रवाई में और भी तेजी की जाएगी.
इसके अलावा सेना ने एलओसी पर कई हमलों को नाकाम किया और घुसपैठ को भी रोका. भारतीय सेना ने पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम की ओर से कई हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. सेना के एक अधिकारी ने कहा कि इसमें बड़े अधिकारियों का काफी सपोर्ट रहा, जिन्होंने जवानों को खुली छूट दी. जिसका उदाहरण मेजर गोगोई भी हैं. सेना के अनुसार, हाल ही में अमरनाथ यात्रियों पर किया गया हमला सेना के इसी एक्शन की बौखलाहट है. हाल ही में आर्मी ने कई लश्कर-ए-तैयब्बा के आतंकियों को मार गिराया है, जिसमें बशीर लश्करी भी शामिल था.