डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी से जहां अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की आशंका है, तो वहीं भारत जैसे उभरते बाजारों को इससे बड़ा फायदा हो सकता है. मशहूर निवेशक और लेखक रुचिर शर्मा ने इंडिया टुडे से बातचीत में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की.
रुचिर शर्मा का मानना है कि अमेरिका में बढ़ते टैरिफ रेट से वहां की अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है, जिससे विदेशी निवेशक अन्य बाजारों की तरफ रुख करेंगे. ऐसे में भारत के पास एक बड़ा मौका है. उन्होंने कहा, "फॉरेन कैपिटल फ्लो भारत में कम हो गया था, लेकिन अब यह दोबारा शुरू हो सकता है."
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आंकड़ों की बात करें तो, ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका में टैरिफ रेट में 1% की बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 0.1% तक घट सकती है. अगर ट्रंप अपनी 10% बेस टैरिफ लागू करते हैं, तो अकेले व्यापार के असर से ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था 1% तक धीमी हो सकती है.
ट्रंप की टैरिफ भारत के लिए क्यों फायदेमंद?
रुचिर शर्मा का कहना है, "जब डॉलर कमजोर होता है, तो उभरते बाजारों के लिए वो एक बेहतर मौका बनाता है." अगर अमेरिका से कैपिटल का आउटफ्लो होता है, तो इसका सीधा फायदा भारत जैसे देशों को हो सकता है और इससे ना सिर्फ भारत में कैपिटल इन्फ्लो होगा, बल्कि फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट भी बढ़ सकते हैं.
भारत का इक्विटी मार्केट भले ही महंगा माना जाता हो, लेकिन उसकी डाइवर्सिटी इसे खास बनाती है. रुचिर शर्मा का कहना है, "भारत में अभी भी 500 से ज्यादा कंपनियां हैं, जिनकी मार्केट वैल्यू एक अरब डॉलर से ज्यादा है. ऐसा डाइवर्सिटी और कहीं नहीं मिलता."
इनके अलावा, रुचिर शर्मा ने कहा कि भारतीय बाजार अब अमेरिकी बाजार से अलग व्यवहार कर सकते हैं. उनका मानना है कि पहले जहां अमेरिकी स्टॉक मार्केट वॉल स्ट्रीट की हर हलचल का असर दुनियाभर पर पड़ता था, अब भारत का बाजार स्वतंत्र दिशा में भी आगे बढ़ सकता है.
ट्रंप की टैरिफ नीतियों के बीच रुचिर शर्मा ने भारत की ट्रेड पॉलिसी में बदलाव की ओर भी इशारा किया है. उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ सालों में प्रोटेक्शनिस्ट हो गई थी, लेकिन अब नई ट्रेड डील की बात चल रही है. उनका कहना है कि भारत अपना बाजा और भी ज्यादा खोल रहा है, और इसकी जरूरत भी है. एक विकासशील देश की तौर पर भारत अमेरिका की तरह सेल्फसेंट्रिस्ट नहीं रह सकता.
भारत को क्या करना चाहिए?
रुचिर शर्मा का मानना है कि हमें सभी मुद्दों को सिर्फ अमेरिका-भारत, या फिर अमेरिका चीन के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा, "दुनिया में जो दस सबसे तेजी से बढ़ते व्यापारिक मार्ग हैं, उनमें से आठ अमेरिका से जुड़े नहीं हैं. पांच चीन से जुड़े हैं और भारत सिर्फ एक में शामिल है."
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इसलिए रुचिर शर्मा ने सुझाव दिया कि भारत को चीन के साथ अपने व्यापारिक संबंधों पर दोबारा विचार करना चाहिए. न कि तुष्टीकरण के रूप में, बल्कि एशिया के तेजी से बढ़ते व्यापारिक इकोसिस्टम के रूप में भारत को सही तरीके से स्थापित होने की कोशिश करनी चाहिए.
रुचिर शर्मा का मानना है कि चीन पर दबाव बढ़ रहा है और शायद वह भी अपने रुख में कुछ नरमी ला रहा है. उन्होंने कहा, "चीन के साथ जो तनाव है, उसमें थोड़ा नरमी आनी चाहिए."
ट्रंप और उनकी टैरिफ पॉलिसी
रुचिर शर्मा ने डोनाल्ड ट्रंल की आर्थिक नीति को "सुनियोजित" बताया और कहा, "ट्रंप को समझ है कि आम अमेरिकी आर्थिक व्यवस्था से नाराज हैं." उन्होंने ट्रंप के पलट जाने जैसे कदम का जिक्र किया और बताया कि वह कभी 30% टैरिफ लगाते हैं, और फिर अचानक उसे घटाकर 10% कर देते हैं - और फिर भी खुद को एक विनर के रूप में पेश करते हैं. रुचिर शर्मा ने ट्रंप के पहले कार्यकाल का जिक्र किया, जब उन्होंने टैरिफ को 1% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया था, लेकिन इस बार उन्होंने बेस टैरिफ 10% लगाया है.
रुचिर शर्मा भी मानते हैं कि अगर चीन अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करता है तब बड़े आर्थिक नुकसान की आशंका होती है. जैसे कि अमेरिका के टैरिफ ऐलान करने का असर इतना नहीं हुआ, जितना की चीन की जवाबी कार्रवाई से हुई - जब मार्केट हिल गया. रुचिर शर्मा के मुताबिक, अगर चीन अमेरिका से टैरिफ नीतियों पर बात करने के बजाय जवाब देने का फैसला करता है, तो इससे हालात बिगड़ सकते हैं.
मजेदार बात यह है कि रुचिर शर्मा को लगता है कि ट्रंप की नीति से पूरी दुनिया को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है, उन्होंने कहा, "चाहे ट्रंप अमेरिका को फिर से महान बना पाएं या नहीं, पर वे दुनिया को एक्टिव जरूर बना रहे हैं." उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि जर्मनी ने वैश्विक अनिश्चितता के चलते बड़े आर्थिक सुधार किए हैं. ऐसे ही सुधार और देशों में भी देखने को मिल सकते हैं.
आखिर में रुचिर शर्मा कहते हैं कि भारत को सिर्फ प्रतिक्रिया देने की बजाय नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए. उनके मुताबिक ट्रेड, कैपिटल फ्लो और मैच्योर होते मार्केट इकोसिस्टम - भारत को ग्लोबल लेवल पर औरों से आगे रहने में मदद कर सकता है.