7 मई की सुबह पूरी दुनिया में भारत द्वारा पाकिस्तान पर किए ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा थी, पूरे देश में लोग इसी खबर की बात कर रहे थे. दिल्ली से करीब 900 किलोमीटर दूर जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ऑपरेशन सिंदूर से अनजान एक परिवार के लिए ये दिन आम दिनों जैसा ही था, घर के दो जुड़वा बच्चे जोया और अयान सुबह तैयार होकर अपने स्कूल गए. वो मासूम बच्चे दुनिया की खबरों से अनजान दोपहर को स्कूल से घर लौटते हैं. अम्मी ने दोनों की पसंद का खाना बनाया था, खाना खाकर दोनों बच्चे खेलते हैं. शाम ढलती है और दोनों अपना होम वर्क करके रात का खाना खाते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही खूनी जंग से अनजान ये बच्चे अपनी मां के साथ रात में सोने चले जाते हैं.
बच्चों के पिता रमीज़ खान जो खुद टीचर हैं और उनकी पत्नी उरूसा दोनों बच्चों के साथ गहरी नींद से जाग जाते हैं, जब उनको तेज धमाकों की आवाज सुनाई देती है. आवाज इतनी तेज थी, कि पूरा परिवार दहशत से भर जाता है. किसी तरह वो लोग रात काटते हैं और सुबह होने का इंतजार करते हैं. बच्चों के मामा को फोन किया जाता है और सुबह अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगह पर जाने का फैसला लिया जाता है. सुबह 6 बजे बच्चों के मामा आते हैं और पूरा परिवार राहत की सांस लेता है कि अब वो लोग किसी सुरक्षित जगह पर चले जाएंगे. रमीज खान अपने बेटे अयान का हाथ पकड़ते हैं और उरूसा अपनी बेटी जोया का हाथ थामती है और ये लोग घर से बाहर निकलते हैं.
एक धमाका और सब तबाह...
घर से चंद कदम चलते ही अचानक एक तेज धमाका होता है और चारों तरफ चीख पुकार मच जाती है. कुछ देर के बाद जब उरूसा को होश आता है, तो उसके सामने उसकी 12 साल की मासूम बच्ची जोया खून से सनी पड़ी दिखती है, उसकी सांसें थम चुकी थी, वो बदहवाश अपने पति और बेटे को खोजने लगी, पास ही उसके पति रमीज खान खून से लथपथ एक तरफ बेहोश पड़े थे. उसके दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं उसे अपनी चोट का एहसास भी नहीं हो रहा था. वो इधर उधर भागती हुई अपने बेटे अयान को ढूढने लगती है, तभी कुछ दूरी पर एक आदमी नजर आता है, जो एक 12 साल के बच्चे की टूटती सांसों को थामने की कोशिश कर रहा है. वो उस बच्चे के सीने को बार बार दबा रहा था, लेकिन वो नाकाम रहा और वो बच्चा भी वहीं दम तोड़ देता है, ये बच्चा अयान ही था. उरूसा की आंखों के सामने उसके दिल के टुकड़े उसके दोनों बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई और उसके पति गंभीर रूप से घायल उसके सामने पड़े थे. एक पल में ही उसकी दुनिया उजड़ गई.
ये भी पढ़ें: 'भारतीय सेना ने LoC पर पाकिस्तानी आर्मी के 40 जवानों को मार गिराया', ऑपरेशन सिंदूर पर बोले DGMO
पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा तनाव खत्म हो गया. गोलियों और मिसाइलों की बरसात थम गई, लेकिन इस तूफान के थमने के बाद ऐसी कई भयावह तस्वीरें सामने आईं, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया. कई मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई. पाकिस्तान की तरफ से हुई बमबारी में पुंछ के दो जुड़वा भाई बहन अयान और जोया की जान चली गईं, उन बच्चों की जिंदगी अभी सही ढंग से शुरू भी नहीं हुई थी और उनका ये दर्दनाक अंजाम हुआ.
बच्चों के पिता इस बात से अनजान हैं कि उनके बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे, अस्पताल में जिंदगी कीं जंग लड़ रहे हैं. मां खुद घायल हैं, लेकिन अपने दर्द को दरकिनार करते हुए पति को अस्तपाल में भर्ती करवाकर अपने दोनों बच्चों को अपने हाथों से दफ्न करती है. अयान और जोया को तो शायद जंग का मतलब भी नहीं पता होगा. 12 साल पहले जब इस परिवार में जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ होगा, तो घर में खुशियाों का माहौल रहा होगा. उनके मां-बाप ने अपने बच्चों को लेकर हजारों ख्वाब सजाए होंगे. अपने घर के आंगन में उनको उंगली पकड़कर चलना सिखाया होगा. लेकिन इस नफरत की लड़ाई ने सब कुछ खत्म कर दिया उनके हाथों से उनके बच्चे छूट गए.
ये भी पढ़ें: क्या भारत और भी आतंकी अड्डों पर एक्शन लेगा? आजतक के सवाल पर बोले DGMO- जरूरत पड़ी तो जरूर!
बच्चों की पढ़ाई के लिए पिता ने स्कूल के पास किराए का घर लिया था
बीबीसी से बात करते हुए बच्चों की मौसी कहती हैं -'सीजफायर भले ही हो गया है, लेकिन उन्होंने जो खोया है वो वापस नहीं आएगा, उन लोगों को जो जख्म मिला है वो ताउम्र नहीं भर पाएगा. दोनों बच्चों में से काश एक बच जाता तो उनको जीने का सहारा मिलता है.' वो उस दिन को कोसती है जब उनकी बहन ने पुंछ के इस इलाके में रहने का फैसला किया था. रमीज खान का कसूर इतना था कि वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए ही रमीज खान ने पुंछ में स्कूल के पास किराए का घर लिया था. 2 महीने पहले ही वो लोग वहां शिफ्ट हुए थे. घर लेना उनके लिए काल बन गया अगर वो यहां नहीं आते तो शायद जिंदा होते. बच्चों की मां अपने बच्चों के खोने के गम में भूखी-प्यासी अस्पताल में बेसुध पड़ी है और रमीज खान अभी तक होश में नहीं आए हैं.

मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन?
इस जंग में सिर्फ अयान और जोया की जान नहीं गई, बल्कि कई मासूम लोग शिकार बने हैं. सीजफायर के बाद पाकिस्तान अपने देश में जीत का जश्न मना रहा है, पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी विजय रैली में शामिल होकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं, आखिर ये जश्न किस बात का? मासूमों की मौत का. दो साल की बच्ची आइशा नूर का क्या कसूर था, उसको क्यों मारा गया? पाकिस्तान के हमले में 20 से ज्यादा आम नागरिकों की जान गई, जिनका कोई कसूर नहीं था.
पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 लोगों को धर्म पूछकर मौत के घाट उतारा गया, जिसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन बदले की कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भारत के निर्दोष मासूमों को निशाना बनाया, जो अमन चैन से जिंदगी जी रहे थे.

पाकिस्तान ने कायराना हरकत करते हुए भारत के सरहदी गांवों पर मिसाइल और ड्रोन से हमले किए, लोग अपनी जान बचाकर अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए. इस अघोषित जंग में हुए नुकसान की भरपाई तो शायद हो जाएगी, लेकिन जिन लोगों की जान गई वो कभी वापस नहीं लौटेंगे और उनके परिवार के लोगों को जो जख्म मिला है वो जिंदगी भर नहीं भरेगा.