अगर आप राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से पोशाक यानी कपड़ा सिलाकर पहनते हैं, तो आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है. साथ ही जुर्माना भरना पड़ सकता है. तीन रंगों से बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज आजादी का प्रतीक भी है. इसका सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है. अगर कोई इसका अपमान करता है, तो उसको सजा देने का प्रावधान किया गया है.
इस संबंध में भारतीय संसद ने कानून बनाया है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि कब तिरंगे का अपमान होता है और इसके लिए क्या सजा है? राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम के तहत तिरंगे से पोशाक सिलाकर पहनने को अपराध बनाया गया है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई तिरंगे से कपड़े सिलाकर पहनता है, तो इसको राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाता है. इसके लिए तीन साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम की धारा 2 के मुताबिक तिरंगे का इस्तेमाल किसी प्रकार की पोशाक या वर्दी के लिए नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही तिरंगे को गद्दियों, रुमालों, बक्सों या नैपकिनों पर भी काढ़ा या छापा नहीं जाएगा. तिरंगे के साथ एक ही पोल या डंडे पर किसी दूसरे झंडे को कतई नहीं लगाया जाएगा. ऐसा करना भी राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. इसके अलावा अगर निम्न में से कोई भी कार्य किया जाता है, तो वो भी राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाएगा.
1. किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को झुकाना.
2. तिरंगे को आधा झुकाकर फहराना.
3. राजकीय या सशस्त्र सैन्य या अर्धसैनिक बलों के अंतिम संस्कार को छोड़कर तिरंगे का किसी अन्य रूप में लपेटना.
4. किसी प्रतिमा, स्मारक, वक्ता की मेज या मंच ढकने के लिए तिरंगे का इस्तेमाल करना.
5. जानबूझकर तिरंगे को जमीन या फर्श से छुआना या पानी पर घिसटने देना.
6. किसी वाहन, रेलगाड़ी, नाव या किसी वायुयान के टॉप, बगल या पीछे के हिस्से में तिरंगे को लपेटना.
7. किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए झंडे का इस्तेमाल करना.
8. जानबूझकर केसरी पट्टी को नीचे रखकर भारतीय राष्ट्रीय तिरंगे को फहराना.
9. तिरंगे पर कुछ लिखना या फिर उसके साथ विज्ञापन करना.
तिरंगा फहराना नागरिकों का मौलिक अधिकार
हर भारतीय को तिरंगा फहराने का अधिकार है. साल 2004 में भारत सरकार बनाम नवीन जिंदल मामले में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि हर हिंदुस्तानी को तिरंगा फहराने का मौलिक अधिकार है. यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के दायरे में आता है.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद से तिरंगे को फहराने का सभी नागरिक को अधिकार मिल गया है. इससे पहले सिर्फ सरकारी संस्थान या शैक्षणिक संस्थानों में ही तिरंगे को फहराया जाता था. आपको बता दें कि झंडे को सम्मानपूर्ण और विशिष्ट स्थिति में ही फहराया जाना चाहिए. साथ ही तिरंगे का आकार का अनुपात हमेशा 3:2 होना चाहिए.