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अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाया निगरानी का कदम

कम्प्यूटर डेटा निगरानी मामले को लेकर अरुण जेटली ने कहा है कि इसमें 'सामान्य निगरानी निर्देश नहीं' जारी किया गया है और यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा में किया गया है. केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं.

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अरुण जेटली (तस्वीर- पीटीआई)
अरुण जेटली (तस्वीर- पीटीआई)

कम्प्यूटर डेटा निगरानी मामले में हो रही आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इसमें 'सामान्य निगरानी निर्देश नहीं' जारी किया गया है और यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा में किया गया है. केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं. सीबीआई, ईडी और एनआईए सहित दस केंद्रीय एजेंसियों को केंद्र ने इस बात की अनुमति दी है कि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत किसी भी कम्प्यूटर में निर्मित, संप्रेषित, प्राप्त या संग्रहीत सूचना में हस्तक्षेप, निगरानी और उसका कूट तोड़ सकें.

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने इस फैसले को असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक तथा मूल अधिकारों पर हमला बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार भारत को 'निगरानी राज्य' में तब्दील करने की कोशिश कर रही है. जेटली ने 'द कांग्रेस स्पीक्स विदआउट थिंकिंग' नाम से लिखे ब्लॉग में कहा,'सुबह से गलत जानकारी वाला एक अभियान चलाया जा रहा है कि सरकार ने कम्प्यूटरों की निगरानी की अनुमति दे दी है और वह निजता के अधिकार का हनन कर रही है.

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आदत रही है कि वह किसी मुद्दे पर बोलती पहले है और समझती बाद में है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा कोई 'सामान्य निगरानी आदेश नहीं' दिया गया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि हस्तक्षेप का यह आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकव्यवस्था के हित है और यह पहले से ही कानून में है. जेटली ने कहा कि यह आदेश केवल ए बताता है कि इसके लिए अधिकृत एजेंसियां कौन सी हैं और यह आईटी अधिनियम की धारा 69 में अंतर्गत ही है.

जेटली ने कहा कि यह शक्ति पहले से थी और इसका प्रयोग संप्रग सरकार के समय भी किया गया था. फिर ऐसा कौन सा तरीका है कि जिससे उस आतंकवादी का, जो विस्तार से तकनीक इस्तेमाल कर रहा है, पता लगाया जाए. वर्ना होगा यह कि आतंकवादी तो सूचना तकनीक इस्तेमाल कर सकेगा लेकिन जांच एजेसियां ऐसा करने में अक्षम रहेंगी.

विधि मंत्री प्रसाद ने भी इसे राष्ट्रीय हित में उठाया गया कदम बताया और कहा कि इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा की गई है. प्रसाद ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस, जिसने आपातकाल और सेंसरशिप लागू की, उन्हें लोकतंत्र पर खतरे की बात नहीं करनी चाहिए.

प्रसाद ने कहा कि यह प्रक्रिया तदर्थ आधार पर है और पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह से परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा, 'बड़ा मुद्दा यह है कि हम कहना चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी है. इसलिए हमने ऐसा किया. इसकी प्रणाली उत्तरदाई, सुस्पष्ट और पारदर्शी है. एजेंसियां का निर्धारण किया गया है. प्रत्एक मामले में हस्तक्षेप, निगरानी, कूट तोड़ने के काम के लिए समक्ष प्राधिकार से अनुमति लेनी होगी जो कि गृह सचिव होंगे.

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वर्तमान में, आईटी अधिनियम की धारा 69 राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकहित में किसी भी कंप्यूटर में उत्पन्न, प्रेषित, संग्रहीत किसी भी सूचना के लिए हस्तक्षेप, निगरानी या कूट तोड़ने की अनुमति प्रदान करता है.

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