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जाति आधारित जनगणना का फैसला मंत्रियों का समूह करेगा

जाति आधारित जनगणना जैसे विवादास्पद और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सतर्कता से चलते हुए सरकार ने बुधवार को इस विषय पर गहन विचार विमर्श के लिए मंत्रियों के एक समूह के गठन का फैसला किया.

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जाति आधारित जनगणना जैसे विवादास्पद और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सतर्कता से चलते हुए सरकार ने बुधवार को इस विषय पर गहन विचार विमर्श के लिए मंत्रियों के एक समूह के गठन का फैसला किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इस विषय पर हुई चर्चा में कुछ मंत्रियों ने जाति आधारित जनगणना का सर्मथन किया जबकि कुछ अन्य ने आपत्ति जताई.

सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में इस विषय पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, मानव संससाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, खेल मंत्री एम एस गिल, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा, बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे और सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक ने अपने विचार रखे. इनके अनुसार सिब्बल और गिल ने कहा कि जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और बीच में जाति को शामिल किया जाना ठीक नहीं रहेगा.

जनगणना में जाति को शामिल किए जाने के खुले समर्थक मोइली ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर प्रक्रिया शुरू होने पर दूसरे और तीसरे चक्र में जाति को आसानी से शामिल किया जा सकता है. बताया जाता है कि वासनिक ने भी जनगणना में जाति को शामिल किए जाने की हिमायत की. पूर्व में जनगणना में जाति को शामिल किए जाने का विरोध कर चुके आनंद शर्मा ने इस पर संतुलित विचार रखे.

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सदस्यों के बीच मत भिन्नता को देखते हुए कैबिनेट ने इस मुद्दे पर मंत्रियों के समूह का गठन करने का निर्णय किया. उम्मीद है कि इस समूह की अध्यक्षता वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी करेंगे. सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों का समूह अगर जनगणना में जाति को शामिल करने का फैसला होता है तो वह उसके तौर तरीके भी सुझाएगा. देश में अंतिम बार 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी.

इस संवेदनशील विषय पर सिफारिश देने के लिए मंत्रियों के समूह को कोई समय सीमा नहीं दी गई है लेकिन उससे उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द ऐसा करे. चार मई को हुई कैबिनेट की पिछली बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी लेकिन आम राय नहीं बन सकी थी. बताया जाता है कि गृह मंत्रालय चाहता है कि शुरू हो चुकी जनगणना प्रक्रिया को इसी तरह चलने दिया जाए और बाद में बायोमीट्रिक नमूने लेने का काम शुरू होने पर जाति को शामिल किया जाए.

सपा, राजद और जदयू सहित कई राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना करने का सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं. हाल ही में संपन्न संसद के बजट सत्र में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि इस बारे में निर्णय करने से पहले सदस्यों की भावनाओं को समाहित किया जाएगा. सोमवार को प्रधानमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में कहा था इस विषय में कैबिनेट में निर्णय किया जाएगा और यह प्रक्रिया अभी जारी है.

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