देश में इस बार होने वाली जनगणना में जाति भी पूछे जाने का विरोध करते हुए बुद्धिजीवियों ने नागरिकों से जाति के स्थान पर हिन्दुस्तानी लिखने की अपील की है.
जाति आधारित जनगणना पर हुई एक संगोष्ठी में पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि लोगों को जाति आधारित जनगणना का बहिष्कार करते हुए जाति के स्थान पर हिन्दुस्तानी इंगित करना चाहिए.
इस अवसर पर बुद्धिजीवियों ने एक अभियान चलाकर जाति आधारित जनगणना का विरोध करने का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि ‘मेरी जाति हिन्दुस्तानी’ नाम से यह अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव जे सी शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री खान और अन्य लोगों ने एक समिति बनाकर इस अभियान को आम आदमी तक पहुंचाने का भी निर्णय किया.
खान ने कहा, ‘‘अगर चार या पांच करोड़ लोग ही अपनी जाति के स्थान पर हिन्दुस्तानी लिख देते हैं, तो यह बड़ी सफलता होगी और यह अन्य लोगों को यह अपनाने में मदद करेगी.’’ उन्होंने कहा कि अपनी जाति को हिन्दुस्तानी मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है, लेकिन ऐसे लोग फिलहाल संगठित नहीं हो पाए हैं. इस अभियान से ऐसे लोगों को एकजुट करने का काम किया जाएगा.
संगोष्ठी में मौजूद बुद्धिजीवियों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना देश को बांटने की साजिश है. हालांकि उन्होंने कहा कि अगर कोई अपनी जाति का उल्लेख करना ही चाहता है, तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे.
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि अब लोगों को एक नई जाति की जरूरत है और वह जाति है ‘भारतीयता’ की. यह एक ऐसी जाति है जो जन्म से नहीं बल्कि अपनी इच्छा से चुनी जाती है.