चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की मांग की. इसके लिए आयोग ने कानून मंत्रालय को खत भी लिखा है. आयोग ने कहा कि उन्हें ये अधिकार दिया जाए कि वो वोटर आई कार्ड के साथ आधार लिंक कर सके. इससे बोगस वोटर कार्ड पर रोक लगेगी. ये कदम राष्ट्र हित में भी है.
इस मामले में चुनाव आयोग पहले भी सरकार से आग्रह कर चुका है, लेकिन तब आधार मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से सरकार इसे टालती रही. अब एक बार फिर मोदी सरकार में मांग उठी है तो आयोग को भी उम्मीद है कि शायद इस पर अमल हो जाए.
गौरतलब है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की ओर से चुनाव प्रक्रिया की शुचिता पर लगातार सवाल उठाए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उपाध्याय ने याचिका में फर्जी मतदान रोकने और निर्वाचन प्रक्रिया में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड पर आधारित मतदान प्रणाली लागू करने की मांग की थी.
उपाध्याय ने हाईकोर्ट से इस संबंध में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग करते हुए दलील दी थी कि आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ देने से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला देते हुए चुनाव आयोग से इस संबंध में दिशा-निर्देश तय करने को कहा था. हाईकोर्ट ने इसके लिए चुनाव आयोग को आठ सप्ताह का समय दिया था. हाईकोर्ट ने जुलाई माह में अपना फैसला सुनाया था.
बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी राजनीतिक दलों ने ईवीएम की बजाय बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस और अन्य दल कोर्ट भी गए और ईवीएम की 50 फीसदी पर्चियों का मिलान वीवीपैट मशीन से कराने का चुनाव आयोग को निर्देश देने के लिए अपील की. देश की सर्वोच्च अदालत ने यह अपील भी खारिज कर दी थी, लेकिन इन सबके बीच आधार आधारित निर्वाचन प्रणाली लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया था.