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अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, 7 फीसदी से अधिक रहेगी वृद्धि दर: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसद या उससे कुछ अधिक रह सकती है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसद या उससे कुछ अधिक रह सकती है.

उन्होंने कहा कि गरीबी से निपटने के लिये अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि जरूरी है. इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन (आईईए) के 92वें सालाना सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘वर्ष 2008 की मंदी ने तेजी को (वृद्धि) को बाधित किया और हमारी वृद्धि दर वर्ष 2008-09 में घटकर 6.7 फीसदी रह गयी. वित्त वर्ष 2009-10 में वृद्धि दर 7 फीसदी या उससे थोड़ी अधिक रह सकती है.’’

वर्ष 2003-04 और 2008-09 के बीच आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रही. सिंह ने कहा कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिये सतत आर्थिक विकास जरूरी है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी गरीब जनता अभी गरीब है और हमें उनके जीवन स्तर में सुधार के लिये बहुत कुछ करने की जरूरत है. इसके लिये जरूरी है कि आर्थिक वृद्धि दर तेज हो ताकि नई नौकरियों और मौकों का सृजन हो सके.’’ मनमोहन सिंह ने ने कहा कि आर्थिक सुधार का देश की गरीब जनता पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि इसने प्रशासन में सुधार की जरूरत को बल दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर प्रणाली में सुधार पर पूरा जोर दिया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार की संभावना को समाप्त किया जा सके.’’ सुधार का गरीबी पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में बहस में भाग लेते हुए सिंह ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को खोले जाने से गरीबी पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली आबादी के प्रतिशत में निरंतर कमी आ रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि नई आर्थिक नीति का गरीबों पर कोई बुरा प्रभाव पड़ा है. हालांकि, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि जो कुछ भी हासिल किया गया है, वह पर्याप्त नहीं है. गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में तेजी से कमी होनी चाहिए और इसके लिये और बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है.’’

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