scorecardresearch
 

आ गई Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग की डेट, इस दिन ISRO भेजेगा रॉकेट

इसरो वैज्ञानिकों ने हीलियम लीकेज की समस्या को ठीक कर दिया है. कुछ टेस्ट बाकी हैं जो 18 जुलाई तक पूरे हो जाएंगे. अगर सब सही रहा तो 22 जुलाई को दोपहर 2.52 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च किया जा सकता है. 15 जुलाई को तड़के 2.51 पर Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग होनी थी लेकिन 56.24 मिनट पहले ही ISRO वैज्ञानिकों ने इसे रोक दिया था.

Advertisement
X
चंद्रयान-2 इसी जीएसएलवी-MK3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा (फोटो-ISRO)
चंद्रयान-2 इसी जीएसएलवी-MK3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा (फोटो-ISRO)

  • 22 जुलाई की दोपहर 2.52 मिनट पर चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होगी
  • 15 जुलाई को लॉन्चिंग से ठीक पहले रोक दिया गया था चंद्रयान-2
  • क्रायोजेनिक स्टेज में हो रही हीलियम लीकेज को किया गया ठीक

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को लॉन्च से 56.24 मिनट पहले रोक दी गई. चंद्रयान-2 को तड़के 2.51 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था. लेकिन 56.24 मिनट पहले काउंटडाउन रोक दिया गया. इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है. लॉन्चिंग की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी. लेकिन, इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने वह खामी खोज कर उसे ठीक भी कर दिया.

Advertisement

इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि क्रायोजेनिक स्टेज के कमांड गैस बॉटल में प्रेशर लीकेज था. इसमें हीलियम भरा था. यह क्रायोजेनिक इंजन में भरे लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन को ठंडा रखने का काम करता है. हीलियम लीकेज की वजह से मिशन को रोकना पड़ा. बॉटल में हीलियम का प्रेशर लेवल नहीं बन रहा था. यह 330 प्वाइंट से घटकर 300, फिर 280 और अंत में 160 तक पहुंच गया था. इसलिए लॉन्च को रोकना पड़ा.

चार दिन में नहीं हो पाई लॉन्चिंग, तो 3 महीने के लिए टल जाएगा Chandrayaan-2

15 जुलाई के बाद अब तक क्या किया इसरो वैज्ञानिकों ने

  • वैज्ञानिकों ने सबसे पहले बाहुबली जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट के सभी स्टेज से प्रोपेलेंट (ईंधन) निकाला.
  • इसरो वैज्ञानिकों की योजना थी कि पूरे जीएसएलवी-एमके 3 को अलग-अलग किया जाएगा, लेकिन ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी. सिर्फ उस हिस्से को निकालकर ठीक कर दिया है, जिसमें खामी थी.
  • इसरो वैज्ञानिकों ने हीलियम गैस बॉटल को बदल दिया है. साथ ही उस वॉल्व को भी ठीक किया है, जिससे प्रेशर लीक हो रहा था.

आज से अगले कुछ दिन क्या करेंगे इसरो वैज्ञानिक

  • आज यानी 18 जुलाई को दिनभर टेस्ट करने के बाद शाम को इसरो की एनालिसिस कमेटी सारे टेस्ट के परिणामों की जांच करेगा. साथ ही जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट के उन हिस्सों की क्लीनिंग होगी, जिसमें से ईंधन निकाला गया था.
  • इसके बाद रॉकेट के सभी हिस्सों की एसेंबलिंग यूनिट में ले जाकर दोबारा एसेंबलिंग की जाएगी. फिर इसे लॉन्चपैड-2 पर ले जाया जाएगा. इसके बाद लॉन्च से कुछ घंटे पहले रॉकेट के विभिन्न हिस्सों में ईंधन भरा जाएगा.
  • यह संभावना भी है कि इसरो वैज्ञानिक लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के 5 चक्कर को घटाकर 4 कर दें. हालांकि इसमें ईंधन थोड़ा ज्यादा खर्च होगा. पृथ्वी की कक्षा में कमी करने से आगे की यात्रा के लिए समय बचेगा.
  • अभी चांद की दूरी थोड़ी ज्यादा हो गई है तो ऐसा भी हो सकता है कि चांद पर पहुंचने के बाद भी वैज्ञानिक चांद के चारों तरफ लगाए जाने वाले चक्करों को भी कम कर सकते हैं.

अच्छा ही हुआ जो ISRO ने टाल दी लॉन्चिंग...वरना अंतरिक्ष में खो सकता था Chandrayaan-2

Advertisement

22 जुलाई की दोपहर हो सकती है चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग

इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि इसरो वैज्ञानिकों ने हीलियम लीकेज की समस्या को ठीक कर दिया है. कुछ टेस्ट बाकी हैं जो 18 जुलाई तक पूरे हो जाएंगे. 22 जुलाई को दोपहर 2.52 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च किया जा सकता है. ऐसे में भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 की यात्रा 4 दिन आगे बढ़ जाएगी. यानी पहले चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को पहुंचने वाला था लेकिन 22 को लॉन्चिंग होगी तो यह 11 या 12 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा. हालांकि, जुलाई अंत तक लॉन्चिंग की पूरी संभावना है. अगर इस महीने लॉन्च नहीं होगा तो सितंबर में लॉन्चिंग की जा सकती है. 

अगर 22 जुलाई को लॉन्च नहीं हुआ तो सितंबर-अक्टूबर में होगी लॉन्चिंग

अगर वैज्ञानिकों के पूरा प्रयास करने के बाद भी 22 जुलाई को लॉन्च नहीं कर पाते तो अगले कुछ हफ्ते चंद्रयान की लॉन्चिंग संभव नहीं है. क्योंकि, यह लॉन्च विंडो खत्म हो जाएगी. अगला लॉन्च विंडो सितंबर या अक्टूबर में आएगा. लॉन्च विंडो वह उपयुक्त समय होता है जब पृथ्वी से चांद की दूरी कम होती है और पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले उपग्रहों और अंतरिक्ष के कचरे से टकराने की संभावना बेहद कम होती है.

Advertisement

चांद अभी दूर है...अंतिम समय में Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग टालने के पीछे ये है कारण

सितंबर-अक्टूबर में क्यों की जाएगी मून मिशन की लॉन्चिंग

लॉन्च विंडो का फैसला इसरो के त्रिवेंद्रम स्थित स्पेस फिजिक्स लैब करेगा. अगला लॉन्च विंडो सितंबर या अक्टूबर में मिलेगा. क्योंकि इस दौरान पृथ्वी से चांद की दूरी औसत 3.61 लाख किमी होती है. अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग सफल रहती तो उसे करीब 3.84 लाख किमी की यात्रा करनी पड़ती. यानी करीब 23 हजार किमी ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती.

Advertisement
Advertisement