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अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: वाजपेयी सरकार तक पहुंच सकती है जांच की आंच

अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर करार मामले में सीबीआई एनडीए की पिछली सरकार से पूछताछ कर सकती है. सीबीआई अब करार में वाजपेयी सरकार की भूमिका की जांच कर सकती है. 3,600 करोड़ के इस करार में सीबीआई दो पूर्व राज्यपालों एमके नाराणयन और भरत वीर वांचू से  पूछताछ कर चुकी है.

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर

अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर करार मामले में सीबीआई एनडीए की पिछली सरकार से पूछताछ कर सकती है. सीबीआई अब करार में वाजपेयी सरकार की भूमिका की जांच कर सकती है. 3,600 करोड़ के इस करार में सीबीआई ने दो पूर्व राज्यपालों एमके नाराणयन और भरत वीर वांचू से पूछताछ कर चुकी है.

नाराणयन और वांचू ने सीबीआई को बताया कि हेलीकॉप्टर की ऊंचाई में कमी करने का फैसला सैद्धान्तिक तौर पर 2003 में लिया था. उस वक्त केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी.

वांचू ने सीबीआई को बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप से विचार विमर्श के बाद ‘व्यावहारिक परिचालनात्मक आवश्यकता’ के बाबत सैद्धांतिक तौर पर फैसला लिया गया था. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है.

गौरतलब है कि अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की आपूर्ति तब जांच के घेरे में आ गई थी जब इटली में अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सौदे के लिए कंपनी ने कथित तौर पर घूस दी थी.

शुरूआती जांच करने वाले इतालवी अभियोजक ने आरोप लगाया कि अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमैकेनिका के सीईओ ने भारतीय अधिकारियों को घूस देने के लिए बिचौलिये की सेवा ली थी.

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सीबीआई ने वायुसेना के पूर्व प्रमुख एस पी त्यागी, उनके चचेरे भाइयों और यूरोपीय बिचौलियों सहित कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया है . पूर्व वायुसेनाध्यक्ष के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने हेलीकॉप्टर की उड़ान सीमा घटाई ताकि अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को नीलामी में शामिल किया जा सके . त्यागी ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है.

‘सर्विस सीलिंग’ में कमी किए जाने से अगस्ता वेस्टलैंड नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के योग्य हो गई . ऐसा न किए जाने पर कंपनी के हेलीकॉप्टर नीलामी में हिस्सा नहीं ले पाते.

सीबीआई का दावा है कि हेलीकॉप्टर के उड़ान की उंचाई में कमी इस तरीके से की गई कि अगस्ता वेस्टलैंड अपनी प्रतिस्पर्धी सिकॉस्र्की को पछाड़कर करार हासिल करने में कामयाब रही.

सीबीआई के नारायणन और वांचू से पूछताछ के अनुरोध को पिछली संप्रग सरकार में कानून मंत्रालय ने खारिज कर दिया था. इसके बाद सीबीआई ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सचिवालय में अनुरोध भेजकर राज्यपालों से गवाह के तौर पर पूछताछ की इजाजत मांगी.

कानून मंत्रालय का कहना था कि नारायणन और वांचू संवैधानिक पद पर आसीन हैं जिससे उन्हें संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत अभियोजन से छूट प्राप्त है.

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