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बोरवेल, गड्ढों और मेनहोल ने बच्चों समेत 16 हजार लोगों की जान ली

प्रिंस के बोरवेल से निकलने के बाद से 2015 तक करीब 16,281 लोगों की जान बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने ली है. एनसीआरबी 2006 से 2013 तक गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरकर मरने वालों का रिकॉर्ड दर्ज करता था. 2014 से उसने इस सूची में बोरवेल में गिरकर मरने वालों को भी शामिल किया गया.

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पटना के बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने का अभियान. (फाइल फोटोः IANS)
पटना के बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने का अभियान. (फाइल फोटोः IANS)

13 साल हो गए प्रिंस को बोरवेल से निकले हुए. खुश और स्वस्थ है. उसके पहले भी बच्चे और लोग गिरे होंगे, लेकिन बोरवेल में फंसने की कहानी उसके बाद से लोगों की नजरों में आने लगी. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2006 से 2013 तक गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरकर मरने वालों का रिकॉर्ड दर्ज करता था. 2014 से उसने इस सूची में बोरवेल में गिरकर मरने वालों को भी शामिल किया. हालांकि, 2014 से 2015 तक बोरवेल में गिर कर मरने वालों की संख्या में कमी आई है.

प्रिंस के बोरवेल से निकलने के बाद से 2015 तक करीब 16,281 लोगों की जान बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने ली है. एनसीआरबी की मानें तो 2014 में 953 लोगों की मौत बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरने से हुई. इनमें से 50 की जान बोरवेल में गई. इन 50 लोगों में 8 बच्चे थे, जिनकी उम्र 14 साल से कम है. वहीं, 2015 में बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने 902 लोगों की जान ली. इनमें से 72 बोरवेल में गिरे थे. इन 72 में से 26 बच्चे थे, जो 14 साल से कम के थे.

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जानिए...2006 से 2015 तक कितने लोगों की जान ली बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने

2006 - 1562

2007 - 1835

2008 - 1880

2009 - 1826

2010 - 1743

2011 - 1847

2012 - 1752

2013 - 1981

2014 - 953

2015 - 902

कुल - 16,281

हाल ही में और भी कई दर्दनाक घटनाएं हो चुकी हैं

मीडिया और अन्य माध्यमों से मिली जानकारी को देखें तो मई 2019 में नोएडा के सेक्टर 39 में बोरवेल में गिरकर दो मजदूरों की मौत हो गई थी. अक्टूबर 2018 में गुजरात के साबरकांठा जिले में 200 फुट गहरे बोरवेल में गिरने से डेढ़ साल के बच्चे की मौत हो गई. नवंबर 2017 में राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के पनियाला गांव में खुले बोरवेल में गिरे बच्चे का शव निकला था. 7 मार्च 2016 को दक्षिण मुंबई स्थित गिरगांव के फणसवाड़ी इलाके में बोरवेल में गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी.

नहीं हो रहा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन

2009 में बोरवेल से होने वाली बच्चों की मौत को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन नहीं होने से हादसे थम नहीं रहे हैं. ये हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस...जिनकी हो रही है अनदेखी.
  • बोरवेल खोदने से 15 दिन पहले जमीन मालिक को डीसी या सरपंच को सूचना देनी होगी.
  • बोरवेल खोदने वाली कंपनी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. अफसरों की निगरानी में ही खुदाई होगी.
  • बोरवेल खोदते वक्त सूचना बोर्ड लगाना होगा. इस पर मालिक और कंपनी के नाम के साथ एड्रेस लिखना जरूरी होगा.
  • बोरवेल के आसपास कंटीली तारों से घेराव बनाना होगा. चारों तरफ कंक्रीट की दीवार बनानी होगी.
  • शहरी इलाकों में गाइडलाइंस के पालन की जिम्मेदारी डीसी और ग्रामीण इलाके में सरपंच या संबंधित विभाग की होगी.
  • बोरवेल या कुएं को ढकने के लिए मजबूत स्टील का ढक्कन लगाना होगा.
  • बोरवेल का काम पूरा होने के बाद आस-पास के गड्ढों को पूरी तरह भरना जरूरी होगा.

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