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पुण्यतिथि: वो गलती जिसे याद कर रो पड़ते थे प्रमोद महाजन

राजनीति में उनकी छवि भले ही बेहद तेज-तर्रार और मैनेजर किस्म के राजनेता की रही हो, लेकिन निजी जीवन में वह बेहद संवेदनशील थे. इसका खुलासा उन्होंने अपने जीवन काल में एक चर्चित टीवी शो में किया था. हां वे यह जरूर स्वीकार करते थे कि वह शॉर्ट टेंपर्ड हैं और उन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता था.

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प्रमोद महाजन अपनी बेटी पूनम महाजन के साथ (फोटो-twitter/poonam_mahajan)
प्रमोद महाजन अपनी बेटी पूनम महाजन के साथ (फोटो-twitter/poonam_mahajan)

कभी अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे और बीजेपी के शीर्ष नीति नियंताओं में शामिल रहे प्रमोद महाजन की आज (3 मई) पुण्यतिथि है. इस मौके पर उनके बेटे राहुल महाजन और बेटी पूनम महाजन ने उन्हें भावनात्मक श्रद्धांजलि दी है. पूनम महाजन ने अपने पिता के साथ एक तस्वीर ट्विटर पर शेयर कर लिखा, "इस एक प्यार में मेरी पूरी दुनिया है." जबकि राहुल महाजन ने ट्विटर पर अपने पिता के साथ एक तस्वीर शेयर की है और लिखा है, "आप हमेशा मेरे साथ है...हम आपको याद करते हैं पापा"

प्रमोद महाजन ने सियासत की ऊंचाइयों को बड़ी तेजी से छुआ. वाजपेयी-आडवाणी के दौर में वह बीजेपी के 'चाणक्य' कहे जाने लगे. लेकिन नियति ने उनके अंत की इतनी आश्चर्यजनक, अविश्वसनीय और क्रूर कहानी लिखी थी इस पर किसी को सहज ही यकीन नहीं होता है.

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राजनीति में उनकी छवि भले ही बेहद तेज-तर्रार और मैनेजर किस्म के राजनेता की रही हो, लेकिन निजी जीवन में वह बेहद ही संवेदनशील थे. इसका खुलासा उन्होंने अपने जीवन काल में एक चर्चित टीवी शो में किया था. हां वे यह जरूर स्वीकार करते थे कि वह शॉर्ट टेंपर्ड हैं और उन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता था.

इस टीवी शो में उन्होंने खुद कहा, "जहां तक स्वतंत्र मानवीय मनोवृति का सवाल है...उसे मैं कोई गलत नहीं मानता, लेकिन अगर आपका ये आरोप है कि मैं शॉर्ट टैंपर्ड हूं, या मुझे जल्दी गुस्सा आता है तो मैं समझता हूं कि हां, ये दोष मेरे में है, इस दोष को कम करने की कई बार में कोशिश करता हूं, लेकिन कभी-कभार वह उभर के आ जाता है."

इसी शो के दौरान उन्होंने कहा था कि उनके पिता को भी जल्द गुस्सा आता था. "मैंने जितनी अपनी पिता की मार खाई है मेरे भाइयों ने नहीं खाई है, इसका अर्थ  कुछ न कुछ कमी थी."

जब उनसे पूछा गया था कि क्या वो भी अपने बच्चों पर गुस्सा निकालते हैं, तो उन्होंने कहा था, " शॉर्ट टैंपर्ड नहीं हूं, मेरा बेटा है, बेटी है, कुछ दिन पहले मेरी बेटी को बेटा हुआ है, मैं नाना बन गया हूं, मुझे ऐसा लगता है कि मैंने मेरे बच्चों पर आजतक हाथ नहीं उठाया है. एक बार...बेटा आठवीं कक्षा में फेल हुआ था इसलिए एक चांटा मारा था, और आज जब भी पलटकर  याद करता हूं तो आज आंखों में आंसू आ जाते हैं...कि मारना नहीं चाहिए था. क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि हम बच्चों को इसलिए मारते हैं क्योंकि वो हमको मार नहीं पाते हैं, जब भी कुछ गलती हो तो समझाना चाहिए, इसलिए मैंने बच्चों को हाथ उठा कभी पीटा नहीं, थोड़ा बहुत गुस्सा हुआ, लेकिन कभी स्पर्श नहीं किया."

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बता दें कि 22 अप्रैल 2006 की एक मनहूस सुबह को प्रमोद महाजन को उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने गोली मार दी थी. इससे पहले इन दोनों भाइयों के बीच 15 मिनट तक बेहद गर्मा गर्म बहस हुई थी. इस दरम्यान इनके बीच किस मुद्दे पर क्या बहस हुई कि बात फायरिंग तक पहुंच गई ये बता पाना मुश्किल है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रवीण महाजन द्वारा चलाई गई 3 गोलियां प्रमोद महाजन के शरीर में धंस गईं. 12 दिनों तक डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन 3 मई 2006 को उनका निधन हो गया.

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