अयोध्या भूमि विवाद मामले में बुधवार को 21वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ सुनवाई करेगी. पीठ के सामने सभी पक्ष अपनी-अपनी दलील रख रहे हैं. सुनवाई के 20वें दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने दो शब्दों पजेशन और बिलॉन्गिंग पर बहस की थी.
मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने व्याख्या दी थी कि पजेशन टर्म ऑफ लॉ है, जबकि बिलॉन्गिंग टर्म ऑफ आर्ट. यानी Possesion शब्द कानून का शब्द है जबकि belonging शब्द term of art है. यानी इसका कलात्मक इस्तेमाल हो सकता है. कलात्मक इस्तेमाल यानी इससे इस शब्द का अर्थ अलग-अलग परिस्थितियों में अलग हो सकता है.
उनके इस तर्क पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि possesion के साथ belonging टर्म ऑफ आर्ट में अलग अलग कैसे है? इस पर जस्टिस नजीर ने भी कहा कि belonging शब्द तो निर्मोही अखाड़े की याचिका में भी है, जिसके जरिए उन्होंने इस जमीन पर अपना दावा किया है. अब आपके मुताबिक इसका अलग अर्थ तो किसी भी कानून में नहीं है. आप इस अलग अर्थ पर क्यों बहस कर रहे हैं?
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में दैनिक सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भेज दिया है. बीजेपी के पूर्व नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक के.एन. गोविंदाचार्य ने इस संबंध में याचिका दाखिल की है. उन्होंने कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और ऑडियो रिकॉर्डिंग की मांग की. याचिका के अनुसार, यदि इनमें से कुछ भी नहीं किया जा सकता है, तो कम से कम कार्यवाही की प्रतिलिपि (ट्रांसस्क्रिप्ट) तैयार कराई जाए, जिसे बाद में ऑनलाइन जारी किया जा सके.
जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने चीफ जस्टिस गोगोई की अगुवाई वाली पीठ को यह मामला सौंप दिया. अयोध्या भूमि विवाद मामले की वर्तमान में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है.
अपनी याचिका में, गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले का हवाला दिया कि देश में अदालती कार्यवाही का लाइव स्ट्रीम किया जा सकता है. यह फैसला थिंक टैंक, सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएएससी) की ओर से दायर याचिका पर आया.