पूर्वोत्तर राज्य असम में सक्रिय प्रतिबंधित उग्रवादी समूह उल्फा को बड़ा झटका लगा है. बांग्लादेश ने 18 साल से बांग्लादेश की जेल में बंद उल्फा के महासचिव अनूप चेतिया को भारत को सौंप दिया है. सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद चेतिया को भारत को सौंपा है.
तीन उल्फा नेता सौंपे गए
सूत्रों के मुताबिक चेतिया समेत तीन उल्फा नेताओं को रात 2 बजे के करीब भारत को सौंपा गया . भारतीय उच्चायोग के जे. पी. सिंह ने उल्फा नेताओं की कस्टडी ली. भारत को सौंपे गए बाकी के दो नेता हैं- लक्ष्मी प्रसाद गोस्वामी और बाबुल शर्मा.
सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश-भारत सीमा पर बुधवार को चेतिया को भारत को सौंपा गया. बुधवार को चेतिया को दिल्ली लाया जाएगा.
कई मामलों में वांटेड है चेतिया
चेतिया प्रतिबंधित उल्फा का महासचिव है. असम पुलिस को हत्या, अपहरण, फिरौती, आतंकवाद और नकली नोटों से जुड़े मामलों में अनूप चेतिया की तलाश थी. 1997 में उसे बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था. उसकी गिरफ्तारी फर्जी पासपोर्ट के जरिये बांग्लादेश में प्रवेश करने के आरोप में की गई थी. गिरफ्तारी के समय उसके पास 16 देशों की मुद्राएं थीं.
7 साल की सुनाई गई थी सजा
2002 में बांग्लादेश की अदालत ने उसे सैटेलाइट फोन रखने के मामले में 7 साल जेल की सजा सुनाई थी. उसका असली नाम गोलाप बरुआ है. उसका एक नाम सुनील बरुआ भी बताया जाता है. 1997 में गिरफ्तारी के बाद से वह बांग्लादेश की जेल में हैं.
चेतिया गुरिल्ला युद्ध में पारंगत
असम पुलिस की लिस्ट में उसका नाम मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल है. जिसमें उसे सशस्त्र, हिंसक और गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बताया गया है. उसकी गिरफ्तारी के बाद से हीं भारत सरकार उसे सौंपने के लिए बांग्लादेश से बात कर रही है. लेकिन बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि न होने के आधार पर इस अर्जी को खारिज करता रहा है.
राजनीतिक शरण की मांग खारिज
चेतिया साल 2005, 2008 और 2011 में बांग्लादेश में रहने के लिए तीन बार राजनीतिक शरण मांग चुका है. 2003 में उच्च न्यायालय ने उसकी शरण की याचिका पर फैसला होने तक हिरासत में सुरक्षित रखने का आदेश दिया था.