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बिके गांव के गांव, किसानों को नहीं लगी भनक

पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्थान के पश्चिमी इलाके में कई गांव बिक चुके हैं. लेकिन जिनके खेत बिके, उन्हें ही इस बात की भनक तक नहीं लगी .

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खबर हैरान कर देने वाली है. पाकिस्तान की सरहद से सटे राजस्थान के पश्चिमी इलाके में कई गांव बिक चुके हैं. लेकिन जिनके खेत बिके, उन्हें ही इस बात की भनक तक नहीं लगी .

सरहद के पास फलौदा इलाके में बिना लिखा पढ़ी किए बिक गए गांव के गांव. सैकड़ों किसान और उनकी 24,000 बीघे से ज्यादा जमीन-जागीरदार से किसान कंगाल हो गए हैं और इनको समझ नहीं आ रहा, करें तो क्या करें.

इलाके में जब हवा उड़ी कि गांव के गांव बिक गए हैं तो किसान अपने मालिकाना हक की पड़ताल करने उमड़े. लेकिन वो यह जानकर हैरान रह गए कि फलोदी के कानासर, राणेरी, टेपू, केलनसर, जाम्बा, लूंना जैसे तमाम गांव किसी और के नाम हो चुके हैं.

इनमें से 2276 बीघा की 5 फीसदी की दर से रजिस्ट्री तक हो चुकी है. इतना ही नहीं सरकारी खजाने में 32 करोड़ 76 लाख रुपये भी जमा हो चुके हैं.

किसानों की जमीन दिल्ली की आशापुरी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र की मैत्रेय सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, वसई के नाम से लिखी गई है.

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हैरत की बात तो ये है कि किसान जानते तक नहीं कि जमीन बेची किसने और खरीदी किसने.

मामला थाने में है और पुलिस जांच कर रही है. लेकिन हद तो ये है कि घोटाले की भेंट चढ़े इन किसानों को अपनी ही जमीन वापस लेने के लिए अब 5 फीसदी स्टांप देना होगा. सवाल सरहदी इलाके की सुरक्षा का भी है. जिसमें दलाल बेइमान सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर सेंध लगा रहे हैं.

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