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भारत को यूरेनियम बेचना लाभदायक से ज्यादा हानिकारक :ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक

ऑस्ट्रेलिया के एक पूर्व राजनयिक ने तर्क दिया है कि भारत को यूरेनियम बेचने से फायदे से ज्यादा नुकसान होने वाले हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के एक पूर्व राजनयिक ने तर्क दिया है कि भारत को यूरेनियम बेचने से फायदे से ज्यादा नुकसान होने वाले हैं.

राजनयिक का तर्क है कि हालांकि इस बिक्री से कुछ हद तक निर्यात राजस्व बढ़ेगा, लेकिन इससे जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को संकेत जाएगा कि केनबरा अप्रसार संधि को मानने के प्रति गंभीर नहीं है.

सिडनी विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक और वियतनाम, कोरिया और मैक्सिको में राजनयिक रह चुके रिचर्ड ब्रोइनोव्स्की का मानना है कि यूरेनियम की बिक्री दूसरे देशों को परमाणु हथियार विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.

उन्होंने कहा, ‘भारत को यूरेनियम की बिक्री के बारे में एक तथ्य यह भी है कि इससे पहले ही परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) और अप्रसार को नुकसान पहुंच चुका है. उसे यूरेनियम की बिक्री करने वाले ऑस्ट्रेलिया की भी इसमें जिम्मेदारी बनती है.’

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ब्रोइनोव्स्की ने कहा कि यूरेनियम की इस बिक्री से ऑस्ट्रेलिया के निर्यात राजस्व में बहुत थोड़ा ही इजाफा हुआ है. इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि ऑस्ट्रेलियन यूरेनियम ऐसोसिएशन एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों को यूरेनियम न बेचने की सरकार की नीति का समर्थन क्यों करती है.

ब्रोइनोव्स्की ने कहा, ‘अगर ऑस्ट्रेलिया भारत की मौजूदा मांग के पांचवें हिस्से की भी आपूर्ति करता है, तो इससे हमारे निर्यात में मात्र 1.8 फीसदी का इजाफा होगा. यहां तक कि अगर भारत के सभी निर्माणाधीन रिएक्टरों की मांग को भी मिला लें, तो भी ऑस्ट्रेलिया का राजस्व निर्यात सिर्फ 10 फीसदी बढ़ेगा.’ ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक ने ‘दि एज’ में लिखा है, ‘कुछ ही देश ऐसे हैं, जो एनपीटी पर हस्ताक्षर करने से इंकार करने वाले देशों के साथ परमाणु व्यापार कर रहे हैं.’

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