उच्चतम न्यायालय ने सत्यम मामले में पीडब्ल्यूसी के साझीदार एस. गोपालकृष्णन और सत्यम के आंतरिक अंकेक्षक वीएस प्रभाकर गुप्ता को मिली जमानत निरस्त कर दी और उन्हें 30 अप्रैल तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की पीठ ने गोपालकृष्णन और गुप्ता की जमानत रद्द कर दी और उन्हें 30 अप्रैल तक आत्म समर्पण करने का निर्देश दिया. आत्मसमर्पण नहीं करने पर केंद्रीय जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कदम उठाएगी.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में लगाए गए आरोपों को देखने के बाद वह आरोपियों की जमानत रद्द कर रहा है. न्यायालय ने 18 अप्रैल को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
न्यायालय द्वारा यह आदेश सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया जिसमें सीबीआई ने गोपालकृष्णन और गुप्ता को दी गई जमानत रद्द करने की अपील की थी.
सीबीआई ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा जून, 2010 में कथित 14,000 करोड़ रुपये के सत्यम घोटाले में दोनों आरोपियों को जमानत दी थी जिसे सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. दोनों आरोपियों के वकीलों ने सीबीआई की अपील का यह कहते हुए विरोध किया था कि जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के 10 महीने बाद उच्चतम न्यायालय से संपर्क किया.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय पीडब्ल्यूसी के एक अंकेक्षक तल्लूरी श्रीनिवास को पहले ही जमानत दे चुका है, जबकि सीबीआई अन्य अंकेक्षक गोपालकृष्णन को जेल भेजने की कोशिश कर रही है.
हालांकि, सीबीआई ने कहा कि सत्यम मामले में तल्लूरी श्रीनिवास और गोपालकृष्णन की भूमिका अलग अलग है. सीबीआई का कहना है, ‘तल्लूरी वहां एक साल के लिए था. उसने महज गोपालकृष्णन के सिद्धांतों का पालन किया.’
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 26 अक्तूबर को सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक चेयरमैन बी. रामलिंग राजू और पांच अन्य को दी गई जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी.