अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ के बीच अहम बातचीत होने के बावजूद दोनों देश मानवाधिकार के मुद्दे पर आपसी मतभेद दूर करने में नाकाम रहे हैं.
बहरहाल, दोनों नेताओं के आर्थिक मुद्दों पर भी अलग-अलग विचार थे लेकिन उनके देशों के बीच 45 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के व्यापारिक समझौते करने की घोषणा की गयी है. ओबामा और हू के बीच तिब्बत के मुद्दे पर भी चर्चा हुई है.
अमेरिका की चार दिवसीय यात्रा पर गये हू से ओबामा ने अनुरोध किया कि तिब्बत की जनता की चिंताओं पर ध्यान देने के लिये वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बातचीत करें.
ओबामा ने बुधवार शाम हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद हू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम, बतौर अमेरिका, यह स्वीकार करते हैं कि तिब्बत चीनी जन गणराज्य का हिस्सा है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका चीन सरकार और दलाई लामा के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत आगे बढ़ाने को समर्थन देना जारी रखेगा ताकि तिब्बती लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण सहित चिंताएं और मतभेद सुलझाये जा सकें.’ {mospagebreak}
ओबामा और उनके दल ने हू के नेतृत्व वाले चीनी प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान तिब्बत मुद्दे के साथ ही मानवाधिकार का मुद्दा सुस्पष्ट तरीके से उठाया. ओबामा-हू के बीच वार्ता से पहले 39 तिब्बती संगठनों और उनके अमेरिका स्थित समर्थक समूहों ने ओबामा को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह अपने चीनी समकक्ष के साथ बातचीत में इस मुद्दे को उठायें.
कई तिब्बती संगठनों ने भी तिब्बत में चीन की कथित बर्बरताओं के खिलाफ व्हाइट हाउस के समक्ष दिन भर धरना दिया. हू ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच मानवाधिकार के मुद्दे पर मतभेद हैं लेकिन चीन साझा सम्मान की भावना और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांतों के आधार पर बातचीत करने को तैयार है. {mospagebreak}
उन्होंने जोर दिया कि इस तरह हम साझा समझ को बढ़ा पायेंगे, हमारे बीच कायम असहमति को कम कर पायेंगे और साझा आधार को विस्तार दे पायेंगे. चीन के राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि मानवाधिकार के मुद्दे पर उनके देश में काफी कुछ करने की जरूरत है.
व्यापार के मोर्चे पर दोनों पक्षों के बीच मुद्रा जैसे मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी और चीनी कंपनियों ने 45 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के समझौतों की घोषणा की है. इसमें से एक समझौता 19 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के 200 बोइंग विमान की ब्रिकी के बारे में है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, इस समझौते से अमेरिका में रोजगार के 2,35,000 अवसर निर्मित होने की संभावना है.