उत्तरी सिक्किम के लाचुंग और चुंगथांग के बीच स्थित बे गांव के 120 निवासियों का रविवार को आए भूकंप के बाद से अब तक कुछ पता नहीं है. लाचुंग में आई बाढ़ ने एक बार फिर भूस्खलन का खतरा पैदा कर दिया है.
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राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के दल प्रभारी निशीथ उपाध्याय ने बताया, ‘हमें बे गांव की 14 झोपड़ियों में रहने वाले 120 लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है क्योंकि यह इलाका पूरी तरह तबाह हो गया है. हर तरफ मलबा है और यहां के निवासी लापता हैं.’
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उन्होंने बताया कि बल के चार दलों को सर्वाधिक प्रभावित लिंगू, सेक्यांग, पेंतोंग और बे गांवों में भेजा गया है. भूकंप के बाद बचावकर्मियों को इन्हीं चारों इलाकों में पहुंचने में सबसे ज्यादा परेशानी आई.
उन्होंने कहा, ‘हमें आशंका है कि मलबे में तब्दील इन मकानों में शव फंसे हुए हैं.’ चारों दलों का नेतृत्व करने वाले एस आर भूटिया ने बताया, ‘हमें गांव में एक भी आदमी नहीं मिला. हम उनकी तलाश में जुटे हैं.’
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भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के एक अधिकारी के मुताबिक लाचुंग चू नदी में आई बाढ़ ने लाचुंग में एक बार फिर भूस्खलन का खतरा पैदा कर दिया है.
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रिजर्व आर्मी इंजीनियरिंग के 40 जवान भूस्खलन से बाधित हुए सिक्किम के राजमार्गों को खोलने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. सेना सूत्रों ने बताया कि चट्टानों से बाधित सड़कों को दोबारा खोलने के काम के चलते कई प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में 10 से 12 दिन लग सकते हैं.
चुंगथांग, लाचुंग और लाचेन से अब तक सड़क संपर्क नहीं हो पाया है.
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सेना और जिला प्रशासन के हेलीकॉप्टर न केवल लोगों को बचा रहे हैं, बल्कि घायलों को गंगटोक और मंगन के अस्पतालों तक पहुंचाने और प्रभावित इलाकों में भोजन के पैकेट गिराने के काम में भी जुटे हैं.