पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और शिरोमणि अकाली दल पर श्री अकाल तख्त साहिब तथा पंथ को अपने कुकर्मों की ढाल बनाने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये लोग अपने गलत कार्यों से बचने के लिए अकाल तख्त और पंथ का इस्तेमाल कर रहे हैं. मुख्यमंत्री मान ने कहा, 'गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूप लापता होने के मामले में कोई कार्रवाई न होने से पूरी सिख संगत नाराज है. शिरोमणि कमेटी अपने आकाओं के करीबी प्रभावशाली धनाढ्यों को बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है.'
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पिछले कई वर्षों से पंजाबी और सिख समुदाय इस मामले में गहरे सदमे में है. पंथक संगठनों तथा संत समाज ने लंबे समय से कार्रवाई की मांग की है और राज्य सरकार से भी संपर्क किया है. अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए राज्य सरकार ने FIR दर्ज की है तथा जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है. भगवंत मान ने आरोप लगाया कि FIR दर्ज होते ही शिरोमणि कमेटी ने अपने आकाओं के इशारे पर प्रेस के माध्यम से राज्य सरकार पर धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाना शुरू कर दिया.
कमेटी के मुखिया ने खुद स्वीकार किया है कि वहां रोजाना 10-12 घोटाले होते हैं, जो गोलक के दुरुपयोग को दर्शाता है. वर्ष 2020 में अंतरिम कमेटी ने दोषी कर्मचारियों तथा प्रकाशकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव पारित किया था. उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि इतनी अनियमितताओं के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. शिरोमणि कमेटी ने पूर्व मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह जैसे धनाढ्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का प्रस्ताव पारित किया था. एस.एस. कोहली एंड एसोसिएट्स की सेवाएं समाप्त करने तथा 75 प्रतिशत भुगतान की वसूली की मंजूरी भी दी गई थी. लेकिन कोहली अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल के सीए होने के कारण कार्रवाई लंबित है.
यह भी पढ़ें: CM भगवंत मान की टॉप पुलिस अफसरों संग मीटिंग, गैंगस्टर-ड्रग नेटवर्क पर एक्शन पर मांगी रिपोर्ट
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि शिरोमणि कमेटी दावा करती है कि राज्य सरकार पंथक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है, जो गलत है क्योंकि कमेटी ने खुद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पारित किया था. बाद में प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए सभी प्रस्ताव वापस ले लिए गए. अकाली शासन में गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशन के अधिकार कमेटी को दिए गए थे, लेकिन अब जब सरकार स्वरूपों की बरामदगी चाहती है तो इसे धार्मिक रंग दिया जा रहा है. भगवंत मान ने कहा कि कमेटी हर ताकत चाहती है लेकिन जवाबदेह नहीं बनना चाहती. अब वे अकाल तख्त का इस्तेमाल अपने करीबियों को बचाने के लिए कर रहे हैं. कमेटी और उसके अध्यक्ष अकाली नेतृत्व की कठपुतली हैं. वे SIT से डरते हैं क्योंकि निष्पक्ष जांच उनके चेहरे बेनकाब कर देगी.
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कमेटी भले ही अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रही हो, राज्य सरकार दोषियों को सजा दिलवाएगी. पिछले 14 वर्षों से कमेटी के चुनाव नहीं हुए और इन नेताओं ने केंद्र से मांग भी नहीं की. इस मामले से हर सिख की भावनाएं आहत हुई हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने सोशल मीडिया पर गुरु गोबिंद सिंह और साहिबजादों के कार्टून पोस्ट कर उनका अपमान किया, लेकिन कमेटी ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्योंकि चुनाव नजदीक हैं. अकाली नेता सिर्फ सत्ता चाहते हैं, उन्हें राज्य या जनता की चिंता नहीं. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अकालियों ने पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा, SYL, काले कानूनों आदि राज्य-विरोधी फैसलों पर परिवार के लाभ के लिए सहमति दी. अंत में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि 1920 में अकाली दल शेरों की पार्टी था, लेकिन वर्तमान नेताओं ने इसे डायनासोरों की पार्टी बना दिया. वे केंद्र के सामने राज्य के मुद्दे नहीं उठाते, इसका कारण सिर्फ सत्ता की लालसा है.