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मेजर के खिलाफ कोर्ट मार्शल, नौकरानी की बेटी से यौन शोषण का है आरोप

Punjab News: सेना के एक मेजर पर उसकी नौकरानी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोपों में कहा गया है कि मेजर ने नौकरानी की नाबालिग बेटी का यौन शोषण किया. यह मामला सामने आने के बाद मेजर पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की जा रही है. वहीं मेजर ने इसको लेकर याचिका दायर कर कार्रवाई को रद्द करने की मांग की थी.

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सेना के मेजर पर लगे गंभीर आरोप. (Representational image)
सेना के मेजर पर लगे गंभीर आरोप. (Representational image)

पंजाब के फिरोजपुर में सेना के एक मेजर पर नौकरानी की नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. इस मामले में आरोपी मेजर पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई शुरू की गई है. आरोप है कि जब मेजर दिल्ली कैंटोनमेंट में तैनात था, उस समय घरेलू नौकरानी की 11 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न किया. इस मामले को लेकर जनवरी 2022 में दिल्ली कैंट में सेना के अधिकारियों के पास एक आधिकारिक शिकायत दर्ज की गई थी.

शिकायत के आधार पर सेना के अधिकारियों ने एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया था. कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी 7 फरवरी 2022 से 11 फरवरी 2022 के दौरान दिल्ली में की गई थी. इसके बाद मेजर ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ कार्रवाई को रद्द करने की मांग की और आरोप लगाया था कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिकॉर्डिंग में विसंगतियां थीं. याचिका में आरोप लगाया गया था कि जांच अदालत ने शिकायत की प्रति नहीं दी और न ही सेना नियमों के नियम 180 की आवश्यकता का पालन किया..

याचिका में लगाए गए थे ये आरोप

याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता (घरेलू सहायिका), उसकी बेटी और उसके पति के बयान भी मेजर की मौजूदगी में नहीं लिए गए. एएफटी की कार्रवाई में कहा गया कि 2021 में 23 नवंबर से 28 नवंबर के बीच आरोप लगाया गया था कि जब मेजर की पत्नी अपने माता-पिता के घर गई तो नौकरानी ने सेना अधिकारी से बेटी को पढ़ाने का अनुरोध किया था. एएफटी ने कहा कि आरोप था कि 26 नवंबर से 27 नवंबर के बीच की अवधि के दौरान मेजर ने कथित तौर पर नौकरानी की बेटी को पढ़ाया था. एएफटी के समक्ष झगड़े के आरोप भी लगाए गए थे.

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सेना की ओर से किया गया आरोपों का खंडन

सेना ने एएफटी में दायर जवाबी हलफनामे में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के संचालन में अनियमितताओं के आरोपों का खंडन किया. इसमें कहा गया कि चूंकि मामला मेजर के चरित्र और सैन्य प्रतिष्ठा से जुड़ा था और इसमें एक नाबालिग लड़की भी शामिल थी, इसलिए यह तय किया गया कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कार्रवाई की तैयारी में कोई क्लर्क या कोई अन्य व्यक्ति शामिल नहीं था. पीठासीन अधिकारी ने गवाहों के बयान दर्ज करते समय सभी बयानों को नोट कर लिया था. उनकी प्रतिलिपि बनाई थी. उसके बाद अधिकारी ने खुद रिकॉर्ड से बयान टाइप किए थे.

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